Vrindavan: होली नजदीक आने के साथ उत्तर प्रदेश के वृंदावन में राधा वल्लभ जी के मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है, मंदिर के पुजारी श्रद्धालुओं पर सोने की परत चढ़ी पिचकारियों से रंगों की बौछार करते हैं और बड़े स्नेह और उत्साह के साथ उन पर गुलाल बरसाते हैं, गुलाल टेसू के फूलों से बनाए जाते हैं।
वृंदावन और मथुरा की पारंपरिक होली दुनिया भर में मशहूर है। यहां होली पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ मनाई जाती है, श्रद्धालुओं में मान्यता है कि जुड़वां शहर के मंदिरों में होली खेलने पर भगवान कृष्ण रंगों के जरिये उनपर आशीर्वाद बरसाते हैं। वृंदावन और मथुरा समेत पूरे ब्रज में होली बसंत पंचमी से शुरू होती है। इस साल 14 फरवरी को वसंत पंचमी थी, 40 दिन चलने वाला उत्सव होली के दिन खत्म होता है। इस साल 25 मार्च को होली है।
पुजारी मोहित गोस्वामी का कहना है कि “सांसारिक लोगों की होली भिन्न होती है। हमारे यहां ब्रज की परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। जैसे, नवमी और दशमी के दिन नंदगांव और बरसाने में होली होती है। उसके पश्चात जितने भी ब्रज में आने वाले भक्त होते हैं, वो सब इधर हैं। राधा रानी की राजधानी श्री वृंदावन धाम, वहां पर आते हैं, और वहां होली का आनंद लेते हैं। आज राधा वल्लभ लाल सोने की पिचकारी से, चांदी की पिचकारियों से अपने देवियों पे रंग बरसा रहे हैं। वैसे तो ये रंग हर क्षण, हर समय वृंदावन में बरसता है, ये तो उनके प्रेम का रंग है और उनके प्रेम का बरसात तो निरंतर है, राधा वल्लभ लाल की।”
श्रद्धालुओं का कहना है कि बहुत अच्छा लगा। बहुत मजा आया। कृष्ण जी के दर्शन हुए। बहुत मजा आया। मतलब, बहुत ज्यादा मजा आया। बता नहीं सकते इसे हम। पहले कभी नहीं खेली। मैं पहली बार आई थी। नहीं पता था कि पहली बार आने में इतना मजा आएगा। रंगों से, कलर से बहुत मजा आया। यहां पे बहुत अच्छा लगा आके हमें। और ये होली सबसे स्पेशल गई।”