Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के नौ नए उत्पादों को केंद्र सरकार ने जियोग्राफिकल इंडिकेटर यानी जीआई टैग दिया है। इसमें शहर की मशहूर ठंडाई, तबला और शहनाई शामिल हैं। इन प्रोडक्ट को जीआई टैग की लेटेस्ट सीरीज में शामिल करने के साथ ही उत्तर प्रदेश, देश में सबसे अधिक जीआई टैग पाने वाला राज्य बन गया है।
उत्तर प्रदेश के 69 प्रोडक्ट को अब तक जीआई टैग मिल चुका है। इसमें अकेले वाराणसी की 30 से अधिक चीजें शामिल हैं। जीआई टैग उन प्रोडक्ट को दिया जाता है, जो किसी खास जगह, संस्कृति और समाज के लिए यूनिक होते हैं। ये उसकी खास पहचान को दर्शाता है।
जीआई टैग वाली चीजों को न केवल बड़ा बाजार मिलता है, बल्कि ग्राहकों को भी सही प्रोडक्ट चुनने में मदद मिलती है। ठंडाई, तबला और शहनाई के अलावा, वाराणसी की जिन चीजों को जीआई टैग मिला है, उसमें लाल पेड़ा और भरवा मिर्च जैसी खाने-पीने की चीजें भी शामिल हैं।
जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत का कहना है कि “हमें लग रहा है कि माननीय प्रधानमंत्री जी का ये जो अभियान रहा आत्मनिर्भर भारत से लोकल से ग्लोबल तो काशी इसका जीवंत उदाहरण पूरे भारत में बन गया। काशी की वजह से आज उत्तर प्रदेश भारत में जीआई में पहले स्थान पर पहुंच गया। 69 जीआई के साथ में।”
इसके साथ ही कहा कि “काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बनने के बाद से जो भक्तों की टूरिस्टों के यहां आने की संख्या शुरू हुई। इन उत्पादों में चिंता थी कि डुप्लिकेट उत्पाद बिकने लगेंगे। इसलिए जीआई कराना जरूरी हुआ। चाहे साड़ी हो, चाहे कारपेट हो चाहे मीनाकारी हो, या ठंडई हो, या लाल पेड़ा है या भरवा मिर्च है ये नकल इसकी कोई नहीं कर पाए। दूसरे ताकि उपभोक्ता को सही प्रोडक्ट मिल पाए।”