UP News: पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पास बाघ के हमलों से लोगों में खौफ

UP News: उत्तर प्रदेश में पीलीभीत जिले के जमुनिया गांव में बाघ के हमले में अपनों को खोने का गम यहां रहने वाले लोगों की दिनचर्या सी बन गई है, इस साल फरवरी में 40 साल के किसान गंगा यादव की बाघ के हमले में जान चली गई थी। जिस वक्त ने बाघ ने हमला किया उस वक्त वे खेत की रखवाली कर रहे थे। उनकी पत्नी सरस्वती देवी अभी भी अपने पति को खोने के गम से नहीं उबर पाई हैं।

तोता राम भी इसी गांव में रहते थे, पिछले साल सितंबर में खेत पर काम करते समय बाघ उन्हें खींच ले गया था, तोता राम की पत्नी सुशीला देवी यतो मानती हैं कि उन्हें सरकार ने मुआवजा दिया था, लेकिन दो बेटियों की शादी के लिए उतना काफी नहीं था। इस वजह से वो अब तक पैसे जुटाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।

कालीनगर गांव के चौकीदार गंगा राम को 2017 में गन्ने के खेत में काम करते वक्त बाघ ने अपना शिकार बना लिया था, इन गांवों में बाघों के इस तरह के लगातार हमलों की वजह पास में पीलीभीत टाइगर रिजर्व का होना है। रिहाइशी इलाकों और टाइगर रिजर्व के बीच कोई दीवार न होने से बाघों के हमले की घटना लगातार हो रही हैं।

गांववालों का कहना है कि जब तक सही तरह से टाइगर रिजर्व की दीवारें खड़ी नहीं की जाएंगी, तब तक वे खौफ के साए में जीने को मजबूर हैं। गंगा यादव की पत्नी सरस्वती देवी ने कहा कि “खेत पर गए थे इसलिए ये घटना, एक ही नहीं बहुत लोग पर यहां हमला कर चुका है किसी की जिंदगी ऐसे बर्बाद हो, मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे है। घर वाले एक दिन देखेंगे दो दिन देखेंगे बार-बार थोड़ी देखने वाले है। मैं तो यही कहना चाहती हूं सरकार से, जितने भी ये शेर लोग जंगल में आए हैं कि इस शेर को जंगल में ही बंद किया जाए कुछ भी गांव को हेल्प चाहिए।”

वन रक्षक का कहना है कि “घटना है साहब जंगल के किनारे आबादी खुली हुई है पूरी। अभी तो तार लगाने का काम शुरू हुआ है और इससे पहले सब इलाका खुला हुआ है। जानवर भी बाहर निकल जा रहे हैं और पब्लिक को भी हम रोकते तो बहुत हैं, बहुत प्रयास करते हैं। जंगल के किनारे हैं इनके खेत हैं, खेत की रखवाली करनी है या कुछ लालच में लकड़ी बीनने के लिए, जैसे हम लोग ना हुए तो घुस जाते हैं और अंदर कही टाइगर मिल गया तो त्रासदी हो जाती है।”

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