UP: इजराइल जाने की इच्छा रखने वालों की पहचान कर रहा श्रम विभाग

इजराइल-हमास संघर्ष के बीच इजराइल के निर्माण उद्योग को कुशल कामगारों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इजराइल में कई परियोजनाएं अधूरी हैं। इसके लिए फौरन मजदूरों की जरूरत है। ठेकेदारों ने सरकार से अपील की है कि परियोजनाओं का काम आगे बढ़ाने के लिए विदेश से हजारों मजदूरों को लाने की जरूरत है। भारत से भी बड़ी संख्या में कुशल कामगारों को इजराइल भेजने का प्रस्ताव है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इजराइल जाने के लिए तैयार मजदूरों की पहचान करने के लिए राज्य भर के लेबर कमिश्नर को निर्देश जारी किए हैं।

अधिकारियों के मुताबिक राज्य भर से 10 हजार से 16 हजार मजदूरों की पहचान की जानी है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम या एनएसडीसी की भर्ती प्रक्रिया में 21 से 45 साल के मजदूर इजराइल जाने के पात्र हैं। उन्हें बुनियादी अंग्रेजी की जानकारी जैसी कुछ और जरूरतें पूरी करनी होंगी। अब तक मथुरा और अलीगढ़ जिले से करीब 100 मजदूरों ने इजराइल जाने के लिए सहमति दी है।

यूपी श्रम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि वे 10 जनवरी तक ज्यादा से ज्यादा मजदूरों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। इजराइल जाने को तैयार अलीगढ़ के दो कामगारों ने कहा कि ये रोजगार जोखिम भरा है। फिर भी स्वास्थ्य बीमा जैसे फायदे, वेतन और दूसरे भत्ते आकर्षक हैं।

इजराइल में फिलहाल करीब 18 हजार भारतीय काम कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर केयरगीवर हैं। संघर्ष के बावजूद ज्यादातर भारतीयों ने इजराइल में ही रुकने का फैसला किया है। वे कथित तौर पर सुरक्षित महसूस करते हैं और उनके वेतन भी आकर्षक हैं।

इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की और इस दौरान दोनों ने इजराइल में भारतीय मजदूरों को भेजने के बारे में चर्चा की।

 

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