Moradabad: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के टमाटर किसानों के लिए इस वर्ष का मौसम भारी संकट लेकर आया है। तीसरे साल भी फसल में भारी नुकसान के कारण, किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। किसानों का कहना है कि लागत से भी कम दाम मिलने के कारण फसल को खेतों में सड़ने देना या फेंकना मजबूरी बन गई है। मुरादाबाद के किसानों के अनुसार, इस वर्ष टमाटर की कीमतें ₹3 से ₹4 प्रति किलो तक गिर गई हैं, जबकि उत्पादन लागत ₹12 से ₹14 प्रति किलो है। इससे किसानों को प्रति बीघा ₹6,000 से ₹8,000 तक का नुकसान हो रहा है। किसान राम स्वरूप बताते हैं, “टमाटर फेंकना पड़ रहा है, ज्यादातर बाहर की लोडिंग बंद है, बाहर मंडियों में बिक नहीं रहा है। गर्मी ज्यादा है।”
किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन बाजारों में मांग की कमी के कारण फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। किसान सत्यपाल सिंह सैनी का कहना है, “टमाटर के तो इस समय साहब बहुत बुरे हालात हैं। ये समझकर मान लीजिए आप किसान का जो खर्चा अबतक हुआ है इसमें लागत में, ये समझिए वो भी पूरा नहीं हो पा रहा है।” किसानों का कहना है कि मंडियों में दाम गिरने के कारण वे फसल को खेतों से तोड़ने में भी संकोच कर रहे हैं। क्योंकि तोड़ने और मंडी तक ले जाने का खर्च भी उत्पादन लागत से अधिक हो रहा है। इसलिए कई किसान फसल को खेतों में ही सड़ने दे रहे हैं।
किसान संगठनों ने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करने और सरकारी खरीद की व्यवस्था करने की मांग की है। किसानों का कहना है कि यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए तो वे आर्थिक तंगी में फंस सकते हैं। इसके अलावा, विशेषज्ञों का कहना है कि शीत भंडारण और प्रोसेसिंग सुविधाओं की कमी के कारण टमाटर जैसी जल्दी खराब होने वाली फसलें किसानों के लिए घाटे का सौदा बन रही हैं। किसान संगठनों ने सरकार से इस समस्या के स्थायी समाधान की भी मांग की है। किसानों की यह स्थिति कृषि नीति, बाजार मूल्य निर्धारण और भंडारण सुविधाओं की कमी की गंभीर समस्या को उजागर करती है। यदि सरकार और संबंधित विभाग इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तो यह संकट और भी गहरा सकता है।