Gorakhpur: पहली बार गोरखपुर आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सैनिक स्कूल का लोकार्पण करने के बाद गोरखनाथ मंदिर जाकर शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ जी का दर्शन-पूजन किया, साथ में उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ भी उपस्थित रहीं। दर्शन-पूजन का अनुष्ठान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद अपनी देखरेख में संपन्न कराया। गुरु गोरखनाथ के चरणों में शीश नवाकर और महायोगी के मंदिर के गर्भगृह में प्रज्वलित अखंड ज्योति की महत्ता जानकर उपराष्ट्रपति भावविभोर हो गए।
सैनिक स्कूल के लोकार्पण का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगवानी में उपराष्ट्रपति, सपत्नी गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। यहां मंदिर के मुख्य द्वार से वह गोल्फ कार्ट से मुख्य मंदिर की सीढ़ियों तक आए। यहां उपराष्ट्रपति के आते ही 251 वेदपाठी छात्रों ने वैदिक मंत्रोच्चार और शंखध्वनि के बीच उनका दिव्य स्वागत किया। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के दौरान गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, देवीपाटन शक्तिपीठ के महंत योगी मिथिलेशनाथ, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास, चचाईराम मठ के महंत पंचानन पुरी और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के पदाधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी की अगवानी की।
मंदिर के गर्भगृह में पहुंचकर उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी ने विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महायोगी गोरखनाथ का दर्शन-पूजन किया। उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में प्रज्वलित अखंड ज्योति का भी दर्शन कर प्रणाम निवेदित किया। पूजन के अनुष्ठान के दौरान वहां मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। गोरक्षपीठाधीश्वर ने उपराष्ट्रपति को महायोगी गोरखनाथ और मंदिर के गर्भगृह में प्रज्वलित अखंड ज्योति की महिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने मंदिर के गर्भगृह में उपराष्ट्रपति और उनकीन पत्नी को गुरु गोरखनाथ की प्रतिमा भेंटकर तथा अंगवस्त्र देकर अभिनंदन किया।
दर्शन-पूजन के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ ने सीएम योगी के साथ मंदिर परिसर स्थित पीठाधीश्वर निवास आकर सूक्ष्म जलपान ग्रहण किया। इस दौरान महायोगी गोरखनाथ के पौराणिक आख्यान, नाथपंथ के गुरुजन और गोरखनाथ मंदिर के इतिहास की जानकारी देते हुए उन्हें अपने गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ पर तीन खंडों में प्रकाशित ग्रंथ ‘राष्ट्रीयता के अनन्य साधक महंत अवेद्यनाथ’ भेंट स्वरूप दिया। साथ ही उन्होंने गीता प्रेस से प्रकाशित कई आध्यात्मिक पुस्तकें भी उपहार स्वरूप दीं।