Corona की निराशा को धार्मिक किताबों ने संभाला, गोरखपुर गीता प्रेस में टूटा 98 सालों का रिकॉर्ड

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गोरखपुर. यूपी में कोरोना का कहर फिर से बढ़ रहा है. सरकार ने इसे लेकर आदेश भी जारी कर दिए हैं और वर्तमतान में प्रदेश में ​एक्टिव केसेस की संख्या 392 पहुंच चुकी है. ऐसे में एक बार फिर से आम लोगों के बीच इस महामारी को लेकर डर देखने को मिल रहा है. कोरोना काल में आम लोगों के जीवन में कई तरह के बदलाव आए. इस काल में लोगों की भगवान के प्रति आस्था भी बढ़ गई. आध्यात्म की तरफ लोगों के झुकाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गोरखपुर के गीता प्रेस ने 98 वर्षों का रिकार्ड पिछले पांच महीने में तोड़ दिया है.

निराशा में मिली आशा
दरअसल जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो लोगों के बीच निराशा का माहौल बन गया था. सभी अपने ​जीवन को लेकर काफी नकारात्मक सोचने लगे थे. ऐसे में लोगों को इस स्थिति से निकालने में धार्मिक किताबे काफी सफल रहीं. इन किताबों के जरिए लोग अपने जीवन के उद्देश्य को बनाए रखने में कामयाब रहे. गोरखपुर में गीता प्रेस में 98 वर्षों का रिकॉर्ड टूट और लोगों ने यहां से काफी किताबें खरीदी. पिछले पांच महीनों में यहां से रिकॉर्ड तोड़ धार्मिक किताबों की बिक्री हुई.

करोड़ों की बिक्री
जुलाई से लेकर नवंबर तक सबसे ज्यादा धार्मकि किताबों की बिक्री हुई है. अक्टूबर महीने में 8 करोड़ 67 लाख 69 हजार रुपये की बिक्री हुई. इतनी बिक्री गीता प्रेस की स्थापना से लेकर अभी तक किसी भी एक माह में नहीं हुई है. इस वित्तीय वर्ष की बात करें तो अप्रैल में 3 करोड़ 51 लाख की किताब बिकी, मई में 1 करोड़ 75 लाख की बिक्री, जून माह में 4 करोड़ 93 लाख की बिक्री, जुलाई में 6 करोड़ 63 लाख 96 हजार की किताब की बिक्री हुई. अगस्त माह में 6 करोड़ 30 लाख रुपये के किताब की बिक्री हुई. सितम्बर माह में 7 करोड़ 60 लाख की किताब की बिक्री हुई अक्टूबर में 8 करोड़ 67 लाख की बिक्री हुई नवम्बर में 7 करोड़ 14 लाख रुपये की बिक्री हुई.

जुलाई से नवम्बर तक ज्यादा
गीता प्रेस के ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल का कहना है कि गीता प्रेस कई भाषाओं में धार्मिक किताबों को छापता है. कोविड की दूसरी लहर के बाद जब वो कुछ शांत होने लगी तो किताबों की बिक्री में 20 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया है. कोरोना की पहली लहर 20-21 में पुस्तकों की बिक्री घटकर 30.22 करोड़ हो गयी है. मई माह में एक महीने तक प्रेस बंद भी रहा था. दूसरी लहर में कोरोना अपने चरम पर रहने के बाद भी अप्रैल से नवंबर तक 49.80 करोड़ रुपये की पुस्तकों की बिक्री हई. इसमें सबजे ज्यादा जुलाई से लेकर नवंबर तक बिक्री हुई.

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