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प्रयागराज. कई बार लोग खुश करने के चक्कर में ऐसा कुछ कर जाते हैं कि काम और बिगड़ जाता है. उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने भी पिछले दिनों कुछ ऐसा ही कारनामा किया था, जिसके बाद से उसे लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इसका नतीजा यह हुआ कि आयोग को अपनी गलती मानकर उसे सुधारना पड़ा.
दरअसल जब इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया तो उच्चतर शिक्षा आयोग ने आंख मूंदकर सरकार के इस आदेश को मानना शुरू कर दिया. हद तब हुई जब आयोग ने अपनी ऑफिशियल साइट पर ‘अकबर इलाहाबादी’ का नाम बदलकर ‘अकबर प्रयागराजी’ कर दिया. इसके अलावा ‘तेग इलाहाबादी’ और ‘राशिद इलाहाबादी’ जैसे शायरों के नाम भी बदल दिए गए थे.
आयोग ने शायरों के नाम के आगे लगे टाइटल को बदलने के लिए ‘अबाउट इलाहाबाद’ वाले कॉलम में ‘प्रयागराजी’ कर दिया था. आयोग के इस कारनामे को देखकर सभी ने इसकी आलोचन शुरू कर दी थी. सबका कहना था कि मशहूर शख्सियतों के नाम के साथ यूं खिलवाड़ करना सही नहीं है. मामले को तूल पकड़ता देख अब आयोग बैकफुट पर आ गया है और आयोग ने अपनी गलती सुधार ली है.
अबाउट प्रयागराज
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट uphesc.org के ‘अबाउट अस’ कॉलम में अबाउट प्रयागराज सब कॉलम दे रखा है. इसे क्लिक करने पर एक पेज खुलता है, जिसमें अबाउट प्रयागराज लिखा है. उस पर क्लिक करने पर एक पेज खुलता है, जिसमें प्रयागराज का इतिहास लिखा गया है. इतिहास में जहां हिंदी साहित्य का इतिहास लिखा गया है. उसमें ‘अकबर इलाहाबादी’ को ‘अकबर प्रयागराजी’ लिखा गया था. इसके अलावा तेग इलाहाबादी को ‘तेग प्रयागराजी’ और ‘राशिद इलाहाबादी’ को राशिद प्रयागराजी लिखा गया था.
माना जा रहा है कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने सरकार को खुश करने के लिए यह हरकत की थी. लोगों का कहना था कि अकबर इलाहाबादी ही उनकी पहचान है और आगे भी अकबर इलाहाबादी के नाम से ही उन्हें जाना जाएगा. भले ही बाद में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया हो. ऐसे में इतने बड़े शायर के नाम से छेड़छाड़ गलत और निंदनीय है. प्रयागराज के साथ-साथ पूरी दुनिया के लोग अकबर को अकबर इलाहाबादी के नाम से ही जानते हैं.
वहीं इस मामले के तूल पकड़ने के बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने अपनी वेबसाइट पर की गई गलती को सुधार लिया है लेकिन आयोग का कोई भी अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. हालांकि सूत्रों के मुताबिक आयोग के कुछ अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि उनकी वेबसाइट हैक कर ली गई थी लेकिन आयोग का कोई अधिकारी भी इस बात की पुष्टि नहीं कर रहा है. आयोग के दफ्तर के सामने न्यूज़ 18 की टीम पहुंची तो वहां भी ताला लटका मिला.
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