राष्ट्रीय शर्करा संस्थान यानि एनएसआइ ने चीनी मिलों की राख से नैनो सिलिका पार्टिकल्स बनाने की तकनीक विकसित की है। जो उद्यमियों के लिए अब सोना साबित होगी। बता दें कि एनएसआइ के वैज्ञानिकों ने दो साल के शोध के बाद यह सफलता हासिल की है। इनका इस्तेमाल पेंट उद्योग, लीथियम बैटरी, प्रदूषण उपचार में सोखने वाले स्त्रोत, जैव प्रौद्योगिकी व जैव चिकित्सा और फसल सुधार में नैनौ उर्वरक के रूप में किया जाता है। ऐसे में अब प्रदूषण का स्त्रोत होने से चिंता नहीं बल्कि उद्यमियों के लिए ये राख आय बढ़ाने का जरिया बनेगी। संस्थान ने इस तकनीक को पेटेंट कराने की तैयारी शुरू कर दी है। एनएसआइ के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि चीनी कारखानों में बायलरों से निकलने वाली राख का उपयोग अभी गड्ढों को भरने या सड़कों के निर्माण में किया जाता है। वहीं चीनी मिलों में इसे वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत माना जाता है। चीनी कारखानों में ईंधन के रूप में खोई का उपयोग करने वाले बायलरों से प्राप्त राख में सिलिका की मात्रा को देखते हुए नैनो सिलिका पार्टिकल्स तकनीक विकसित करने पर काम किया।