Digital India: नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया में भारत के 250 साल से ज्यादा समय का इतिहास दुर्लभ दस्तावेजों के रूप में मौजूद है। इसके करीब 34 करोड़ पन्ने हैं, अब इनका डिजिटाईजेशन किया जा रहा है, प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक उनका लक्ष्य रोजाना छह लाख पन्नों को डिजिटाईज करना है।
डिजिटाईजेशन कोर्डिनेटर दीप्ति राणा ने बताया कि “जो अभी करंटली प्रोजेक्ट चल रहा है, हमारा वह इनीशिएट किया गया था जनवरी 2024 में, जिसके अंतर्गत हमें 30 करोड़ पेजों को डिजिटाइज करना है। जो पर डे का जो टारगेट सेट किया गया है, वो छह लाख पेजों का है। छह लाख पेजों को हम डेली डिजिटाइज कर रहे हैं, उसका हमनें एक प्रोसीजर सेट किया है, जिसके अंतर्गत हमने एक डैशबोर्ड डेवलप करवाया है। डैशबोर्ड में ही सारे पेजों की एंट्री हमारे पार्ट पर, नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया के पार्ट पर हमारा स्टाफ इनको देता है।
प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी ने बताया कि आने वाली पीढ़ी के लिए ऐतिहासिक अभिलेखों की क्या अहमियत है। डिजिटाईजेशन प्रक्रिया एग्जेक्यूटिव अनिल बिष्ट ने कहा कि “स्कैनिंग के लिए जो डॉक्यूमेंट रिसीव होता है, उसको सबसे पहले हमारा बेंच प्रिपरेशन किया जाता है, जिसमें पेजिनेशन होता है। इसमें फाइल को नंबरिंग दिया जाता है, उसको आइडेंटिटीफाई करने के बाद इसमें एक बार-कोडिंग प्रोसेस है। उसको यूनिक बनाने के लिए एक बारकोड लगाया जाता है। उसके बाद वो हमारी स्कैनर मशीन पर आता है और स्कैनर मशीन जो हमारे ओवरहेड स्कैनर हैं, उसमें इनबिल्ट एप्लिकेशन में इसमें हम बेंच क्रिएट करते हैं।”
दस्तावेजों में 1857 का विद्रोह, भारत में रियासतों के विलय के कागजात और महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसी कुछ महान हस्तियों की चिट्ठियां भी शामिल हैं, डिजिटाईजेशन प्रक्रिया 15 अगस्त, 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है।