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चंडीगढ़. लुधियाना कोर्ट (Ludhiana Courtroom) की 6 मंजिला इमारत की दूसरी मंजिल पर गुरुवार को बम ब्लास्ट (bomb blast) हुआ. इसमें एक व्यक्ति के चीथड़े उड़ गए व बाहर से गुजर रहे एडवोकेट और 2 महिलाओं समेत 5 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. चुनाव से पहले चौथे महीने में यह छटा ब्लास्ट है. पंजाब में ऐसा नहीं है कि चुनाव के दौरान ही ऐसी घटनाएं हो रही हैं. अगर 2002 से घटनाओं पर गौर करें तो पंजाब में लगातार आतंकवाद (Terrorism) अपनी जड़ों को जीवित करने की कोशिश कर रहा है.
हालांकि, इस घटना को पूरी तरह से चुनाव से ही जोड़ कर देखा जा रहा है. इस बात के लिए पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह ने फरवरी 2019 में भी news18 पर खुलासा किया था. उन्होंने अभी भी आगाह किया है कि पंजाब की अमन और शांति खतरे में है और घटना के दोषियों को ट्रेस किया जाना चाहिए. पिछले कुछ सालों से जो पंजाब में घटनाएं हुई हैं, इससे यही प्रतीत होता है कि पंजाब एक बार फिर से आतंकवाद के मुहाने पर खड़ा है.
2002 से हो रही घटनाएं चिंताजनक
1 जनवरी, 2002 को हिमाचल प्रदेश के साथ पूर्वी पंजाब की सीमा के करीब, डमटाल में एक फायरिंग रेंज पर अज्ञात आतंकवादियों ने हमला किया था, जिसमें तीन भारतीय सेना के जवान मारे गए थे और पांच अन्य घायल हो गए थे.
31 जनवरी 2002 को होशियारपुर जिले के पतराना में पंजाब रोडवेज की बस में हुए विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई थी और 12 अन्य घायल हो गए थे.
31 मार्च 2002 को लुधियाना से करीब 20 किलोमीटर दूर दरोहा में फिरोजपुर-धनबाद एक्सप्रेस ट्रेन में हुए बम विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हो गए थे.
28 अप्रैल 2006 को जालंधर बस टर्मिनल पर 45 यात्रियों को ले जा रही एक बस में हुए बम विस्फोट में कम से कम आठ लोग घायल हो गए थे.
14 अक्टूबर 2007 को लुधियाना के एक सिनेमा हॉल में हुए बम विस्फोट में एक 10 साल के बच्चे सहित सात लोगों की मौत हो गई और 40 अन्य घायल हो गए.
27 जुलाई, 2015 को गुरदासपुर जिले के दीना नगर कस्बे में एक पुलिस थाने पर तीन आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में पंजाब पुलिस अधीक्षक सहित सात अन्य लोग मारे गए थे. तीनों आतंकवादी भी मारे गए थे.
5 दिसंबर 2015 को डूंगरी गांव मकसूदा में कार बम ब्लास्ट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
2 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर हमला हुआ था जिसमें पांच जवान शहीद हो गए थे.
31 जनवरी 2017 को पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले मंडी मोड़ ब्लास्ट में पांच बच्चों सहित सात लोगों की मौत हुई थी.
14 सितंबर 2018 को जालंधर के मकसूदां में बम फेंके गए थे.
3 और 8 जून, 1984 के बीच, अमृतसर में हरमिंदर साहिब परिसर पर नियंत्रण पाने और जरनैल सिंह भिंडरावाला और उनके सशस्त्र अनुयायियों को पवित्र सिख इमारतों से हटाने के लिए प्रीमियर इंदिरा गांधी के आदेश पर ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया गया था. आधिकारिक अनुमानों के अनुसार, ऑपरेशन ब्लू स्टार में हताहतों की कुल संख्या लगभग 2,000 थी. कुछ 83 भारतीय सेना के सैनिक और 492 नागरिक मारे गए, हालांकि कई अपुष्ट रिपोर्टों ने सुझाव दिया कि हताहतों की संख्या 5,000 से अधिक थी.
इसके बाद, सिख विरोधी दंगों में 3,000 से अधिक सिख मारे गए.
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कुछ दिल दहलाने वाली घटनाएं
5 अक्टूबर 1985 को कपूरथला जिले के ढिलवां से जालंधर जा रही एक बस में सवार आधा दर्जन हिंदू बस यात्रियों को आतंकवादियों ने मार डाला था. एक अन्य घटना में एक ट्रेन में सवार एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर और एक टैक्स इंस्पेक्टर की भी मौत हो गई थी. इस समय तक, विभिन्न घटनाओं में 175 से अधिक लोग उग्रवादियों द्वारा मारे जा चुके थे.
6 अक्टूबर 1985 को कुछ सिख समूहों ने घोषणा की थी कि वे हर कीमत पर अपनी अलग मातृभूमि खालिस्तान के लिए जाएंगे. इसलिए पंजाब के आदेश को वापस लाने के प्रयास में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.
16 अक्टूबर 1983 को पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में एक हिंदू उत्सव के दौरान हुए बम विस्फोट में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और 25 घायल हो गए थे.
21 अक्टूबर 1983 को गोबिंदगढ़ में कुछ ट्रेन यात्रियों की हत्या कर दी गई थी.
12 सितंबर 1984 को आठ हिंदू बस यात्रियों की मौत हो गई थी.
फरवरी 1986 में नकोदर में अंधाधुंध गोलीबारी में 15 लोग मारे गए और कई घायल हो गए थे.
28 मार्च 1986 को लुधियाना में अंधाधुंध फायरिंग में करीब 13 हिंदू मारे गए थे.
29 मार्च 1986 को जालंधर में 20 मजदूरों की हत्या कर दी गई थी.
30 नवंबर 1986 को खुद्दा में 24 बस यात्रियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
जनवरी 1987 में एक कांग्रेस सिख नेता, संत सिंह लिद्दार की हत्या कर दी गई थी.
मई 1987 में उदारवादी अकाली दल के नेता जीवन सिंह के बेटे सुखदेव सिंह की आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी.
3 जुलाई 1987 को एक उदार सिख नेता और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की पंजाब इकाई के अध्यक्ष गुरनाम सिंह उप्पल की हत्या कर दी गई थी.
जुलाई 1987 में फिर से हरियाणा रोडवेज की तीन बसों में फतेहाबाद में 80 बस यात्रियों की मौत हो गई.
20 अक्टूबर 1987 को दिवाली के दिन दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर 12 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
19 फरवरी, 1988 को गुरदासपुर, होशियारपुर और पटियाला में बब्बर खालसा द्वारा किए गए बम विस्फोटों में 120 लोग मारे गए थे.
3 मार्च, 1988 को होशियारपुर में एक उत्सव में अंधाधुंध गोलीबारी में कम से कम 35 लोग मारे गए थे.
15 मई, 1988 को समाना, पटियाला, जालंधर और मुकेरियां में अलग-अलग घटनाओं में 40 लोगों की हत्या कर दी गई थी.
16 मई, 1988 को अमृतसर, लुधियाना, जालंधर और गुरदासपुर में 26 लोग मारे गए थे (एक परिवार के 3 सदस्य, 3 बस यात्री और 20 अन्य).
19 जून, 1988 को कुरुक्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान में बम फटने से कम से कम 15 लोगों के टुकड़े-टुकड़े हो गए थे.
नवंबर 1988 में बटाला बम विस्फोट में 25 लोग मारे गए थे.
दिसंबर 1988 में चंडीगढ़ जाने वाली एक बस से सात यात्रियों का अपहरण कर लिया गया और उनकी हत्या कर दी गई.
25 जून 1989 को मोगा शहर के नेहरू पार्क में कुछ खालिस्तानियों ने 27 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
7 मार्च 1990 को अबोहर के भीड़भाड़ वाले बाजार में अंधाधुंध फायरिंग में 32 लोगों की मौत हो गई थी.
लुधियाना में धमाका
खुफिया सूत्रों ने जानकारी दी है कि धमाके में IED के इस्तेमाल का शक है. खबर है कि इसे लेकर तीन बार ख़ुफ़िया विभाग ने अलर्ट जारी किया था. अलर्ट में IED के इस्तेमाल पर भी आशंका जताई गई. अलर्ट में 9 जुलाई, 7 दिसंबर और 23 दिसंबर, यानी धमाके के दिन की भी बात कही गई थी. साथ ही पाक ISI और खालिस्तानी संगठनों द्वारा आतंकी हमले की आशंका को लेकर अलर्ट जारी किया गया था. विभाग ने संवेदनशील इमारतों और भीड़-भाड़ वाले इलाकों को निशाना बनाने को लेकर 3 अलर्ट जारी किए गए थे.
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