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चंडीगढ़. दिल्ली की सीमाओं (Delhi Borders) से भले ही किसान अपना आंदोलन (Farmers Protest) बंद करके वापस घरों को लौट गई हों, लेकिन पंजाब (Punjab) में अब भी विभिन्न मुद्दों के लेकर किसान धरना प्रदर्शन (Punjab Farmers Protest) कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (उग्रहण) का कहना है कि अभी राज्य के 13 जिलों के डीसी आफिसों और दो एसडीएम ऑफिसों के बाहर चल रहा किसानों का धरना प्रदर्शन खत्म करने की कोई योजना नहीं है. किसान यूनियन का कहना है कि 30 दिसंबर को पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी उनसे मुलाकात करने वाले थे, लेकिन उन्होंने यह मुलाकात टाल दी है. अब तक इस प्रस्तावित बैठक की कोई नई तारीख भी नहीं मिली है.
28 दिसंबर को मुख्यमंत्री चन्नी ने किसानों से मुलाकात की थी और अगली बैठक के लिए 30 तारीख के लिए कहा था. यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने इस संबंध में कहा है, ‘सीएम चन्नी हमसे 12.15 बजे सिर्फ कुछ मिनट के लिए ही मिले थे. इसके बाद उन्होंने राज्य के कृषि मंत्री रणदीप सिंह नाभा को हमसे बात करने के लिए नियुक्त किया था. उन्होंने हमसे यह भी कहा था कि वह हम लोगों से 30 दिसंबर को मिलेंगे और हमारे मुद्दों पर चर्चा करेंगे. लेकिन बुधवार को उनके ऑफिस से कॉल आई थी, जिसमें बताया गया था कि वह उन्होंने 30 दिसंबर की बैठक टाल दी है.’
उन्होंने कहा, ‘सिर्फ 5 एकड़ तक की कृषि भूमि की नुकसान हुई फसल का मुआवजा देने की नई नीति पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. 2015 में किसानों को सफेद मक्खी से क्षतिग्रस्त हुई कपास की पूरी फसल का मुआवजा मिला. उस समय यह 12,000 प्रति एकड़ और अब 17,000 प्रति एकड़ थी लेकिन अब 5 एकड़ जमीन की कैपिंग कर दी गई है.’
इस साल 4 लाख एकड़ में लगी कपास की फसल पिंक बॉलवर्म के कारण बर्बाद हो गई, जबकि बासमती को ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है. यूनियनें किसान मजदूरों को मुआवजा दिलाने के लिए पहचान के लिए बिजली बिल दिखाने को कहे जाने का भी विरोध कर रही हैं.
वहीं पंजाब खेत मजदूर यूनियन के महासचिव लछमान सिंह सेवेवाला का कहना है कि एक मीटर वाले एक घर में कई मजदूर परिवार रहते हैं. इसके अलावा हाल के दिनों में कई मजदूरों द्वारा बिलों का भुगतान न करने के कारण उनके मीटर पीएसपीसीएल द्वारा छीन लिए गए थे. हमने पंजाब के सीएम के साथ एक बैठक की थी, वह उन मीटरों को फिर से लगाने के लिए सहमत हुए थे लेकिन यह आज तक नहीं किया गया है.’
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