[ad_1]
चंडीगढ़. पंजाब (Punjab) में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Meeting Election 2022) से पहले जिस तरह से कई नई पार्टियां मैदान में उतरी हैं उसने पंजाब के चुनाव (Election) को काफी रोमांचक बना दिया है. पंजाब के विधानसभा चुनाव के लिए किसान संगठनों (Farmers Group) ने भी हुंकार भर दी है. किसान संगठनों ने ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ (Samyukta Samaj Morcha) के नाम से चंडीगढ़ में एक पार्टी लॉन्च की है. इसके साथ ही पार्टी ने किसी भी अन्य दल के साथ किसी भी तरह का गठबंधन करने से इनकार कर दिया है. बता दें कि 22 किसान संगठनों ने मिलकर ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ बनाया है और ये संगठन सभी 117 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार है. संयुक्त समाज मोर्चा ने 78 वर्षीय किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल को सीएम उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है.
ये सभी 22 किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा थे, जिन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक आंदोलन किया था. हाल ही में तीनों कृषि कानून का रद्द करने के बाद किसान आंदोलन को समाप्त कर दिया गया था. संयुक्त कियान मोर्चा के आंदोलन के दौरान राजेवाल सबसे प्रमुख किसान नेताओं में से एक के रूप में उभरे और अब उनके अगले साल की शुरुआत में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनावों में उनकी ओर से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है.
किसान आंदोलन के दौरान राजेवाल की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी. उनकी भाषण से जुड़े वीडियो को काफी ज्यादा प्रसारित किया गया. राजेवाल 1970 के दशक से पंजाब में एक यूनियन नेता रहे हैं. किसान आंदोलन के दौरान उनकी राजनीतिक समझ और कुशल वक्ता के बारे में लोगों को पता चला. राजेवाल एक बड़े किसान नेताओं में शामिल हैं. उनके पास 60 एकड़ जमीन और दो चावल मिल हैं. 1970 के दशक की शुरुआत में पंजाब खेती-बाड़ी यूनियन से जुड़ने के बाद वह किसान आंदोलन में शामिल हुए. वह 1974 से 1988 तक बीकेयू लखोवाल के साथ थे और फिर बीकेयू (मान) में चले गए. इसके बाद 2001 में उन्होंने अपना खुद का आउटफिट तैयार किया.
इसे भी पढ़ें :- पंजाब चुनाव: 22 किसान संगठनों ने बनाई पार्टी, सभी 117 सीटों से लड़ने का ऐलान, AAP से हो सकता है गठबंधन
राजेवाल अपने गांव में एक स्कूल, एक कॉलेज और छात्रों के लिए एक स्टेशनरी की दुकान भी चलाते हैं, जिसे ‘सच दी दुकान’ कहा जाता है. यह किसी भी दुकानदार द्वारा नहीं चलाया जाता है. इसमें ग्राहकों के लिए स्टेशनरी सामान ले जाने और अपनी इच्छानुसार पैसे जमा करने के लिए एक बॉक्स है. पंजाब टेलीफोन विभाग के पूर्व कर्मचारी रह चुके राजेवाल कभी लुधियाना में खन्ना मंडी में ‘आढ़ती’ (कमीशन एजेंट) के व्यवसाय में थे, लेकिन किसान संघ के सदस्यों के साथ तालमेल बिठाने के लिए कई साल पहले वह इन सबसे बाहर आ गए.
इसे भी पढ़ें :- पुलिस पर नवजोत सिद्धू ने की ‘गलत बयानी’ तो DSP ने घेरा, कहा- हम ना हों तो रिक्शे वाला ना माने नेताओं के निर्देश
साल 1974 में, एक बड़ा किसान आंदोलन शुरू किया गया था, जब किसानों को अपने गेहूं को राज्य के बाहर बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और फिर किसानों ने गेहूं की आवाजाही पर क्षेत्रीय प्रतिबंधों को धता बताते हुए एक आंदोलन शुरू किया था. राजेवाल भी उसी का हिस्सा थे और यहां तक कि जेल भी गए थे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
टैग: किसान संगठन, पंजाब, पंजाब विधानसभा चुनाव 2022, पंजाब विधानसभा चुनाव
.
[ad_2]
Supply hyperlink