Waqf bill: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए ये डर फैलाया जा रहा है कि वक्फ बिल मुसलमानों के धार्मिक मामलों और उनके द्वारा दान की गई संपत्तियों में हस्तक्षेप करता है, लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान हस्तक्षेप करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों का उद्देश्य केवल संपत्तियों का प्रशासन सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि वक्फ एक प्रकार की धर्मार्थ संस्था है, जहां कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति सामाजिक, धार्मिक या लोक कल्याण उद्देश्यों के लिए दान करता है, उसे वापस लेने का अधिकार नहीं होता। शाह ने कहा कि ‘दान’ शब्द का विशेष महत्व है क्योंकि दान केवल उसी चीज का किया जा सकता है जो हमारी अपनी संपत्ति हो, उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी संपत्ति दान नहीं कर सकता।
सदन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि अल्पसंख्यकों को डराकर वोट बैंक बनाया जा रहा है और अल्पसंख्यकों में भय का माहौल पैदा करके देश में भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्थाओं को चलाने वालों में किसी गैर मुस्लिम व्यक्ति को शामिल करने का पहले कोई प्रावधान नहीं था और न ही एनडीए सरकार ऐसा करने जा रही है।
वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, “जो लोग बड़े-बड़े भाषण देते हैं कि समानता का अधिकार खत्म हो गया है या दो धर्मों के बीच भेदभाव होगा या मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप किया जाएगा, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।”
उन्होंने ये भी कहा कि संसदीय चुनावों से पहले तुष्टिकरण के लिए 2013 में वक्फ कानून को ‘अतिवादी’ बना दिया गया था और अगर उस समय कानून में बदलाव नहीं किया जाता तो शायद मौजूदा विधेयक की जरूरत ही नहीं पड़ती।