New Delhi: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2014 में शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) देश में वित्तीय समावेशन लाने के सबसे बड़े साधन के रूप में उभरी है। कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2023 के उद्घाटन के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि 50 से ज्यादा सरकारी योजनाओं के तहत लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा रहे हैं और प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि जब योजना शुरू की गई थी तो लोगों के एक वर्ग ने ‘‘भद्दी’’ टिप्पणियां की थीं और कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक दबाव में होंगे क्योंकि ये ‘जीरो बैलेंस’ खाते हैं। सीतारमण ने कहा कि हालांकि, इन खातों में दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा राशि है। केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में क्लाइमेट फाइनेंसिंग और उससे जुड़ी चुनौतियों पर भी विस्तार से बात की, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात में बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) सहित बहुपक्षीय संस्थान कम प्रभावी हो गए हैं।
सीतारमण ने वैश्विक आतंकवाद से उत्पन्न चुनौतियों को भी रेखांकित किया और जोर दिया कि निवेशकों और व्यवसायों को निवेश संबंधी फैसले करते समय ऐसे फैक्टरों को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कर्ज के हालात को लेकर सचेत है और उसने ये सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय प्रबंधन किया है कि आने वाली पीढ़ी पर बोझ न पड़े।
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निर्मला सीतारमण ने बताया कि “आपको ये जानकर खुशी होगी कि जन-धन खाते इस देश में वित्तीय समावेशन लाने का सबसे बड़ा साधन है। पिछले छह महीनों में 50 करोड़ और खाते लाए गए हैं, नए खाते लाए गए हैं। आज मुझे ये कहते हुए खुशी हो रही है कि इन जन धन खातों में कुल मिलाकर दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि है।”
उन्होंने कहा कि “कारोबार अब सिर्फ नीतियों या अर्थव्यवस्था के खुलेपन से आकर्षित नहीं हो सकते। वे उस फैक्टर को भी ध्यान में रखने जा रहे हैं जो आतंकवादी लक्ष्यीकरण को आकर्षित करने जा रहा है। मैं इसे ऐसे शब्दों में इसलिए कहती हूं क्योंकि खास आतंकवाद को चलाने वाली चीज अब भी बहुत फ्लूड है। क्या ये विचारधारा है, क्या ये धर्म है, क्या ये एक जातीय समूह है जो दूसरे को प्रभावित करता है? ये अब अधिकारियों के बीच चर्चा का विषय नहीं है। इसलिए निवेशकों और व्यवसायों को निवेश संबंधी फैसले करते समय ऐसे फैक्टरों को ध्यान में रखना
होगा।”