जानिए क्यों मनाते हैं हिंदी दिवस, क्या है इतिहास और कब मिला था संवैधानिक दर्जा

नमिता बिष्ट

भारत विविधताओं से भरा एक देश है। यहां कई धर्म, जाति, संप्रदाय के लोग रहते हैं। इनमें से हर एक की बोली अलग-अलग है, लेकिन इन सब में हिन्दी देश के सबसे अधिक राज्यों में बोली जाने वाली भाषा है। इसलिए देश के हर राज्य में बसे जनमानस को हिन्दी के महत्व के बारे में समझाने और इसके प्रसार प्रचार के लिए भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाता है। इस दिन जो लोग हिन्दी नहीं बोलते वह भी हिंदी को याद कर लेते हैं। तो आइए जानते हैं इस मौके पर हिन्दी भाषा की यात्रा के बारे में

इस दिन हुई हिन्दी दिवस मनाने की शुरुआत

भारत में हिन्दी दिवस मनाने की शुरुआत देश की आजादी के बाद हुई। 1946 को 14 सितंबर के दिन संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। फिर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 14 सितंबर के दिन को हिन्दी दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया। हालांकि आधिकारिक तौर पर पहला हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।

हिन्दी दिवस मनाने का उद्देश्य

हिन्दी भारत की पहचान भी है और सम्मान भी। भारत में अंग्रेजी के बढ़ते चलन और हिन्दी की अनदेखी को रोकने के उद्देश्य से हिन्दी दिवस को मनाने की शुरुआत हुई। दरअसल स्वतंत्रता की लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत एकता थी और पूरे देश को एक सूत्र में बांधने में हिन्दी ने निर्णायक भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के बाद ही हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में चुना गया और आज भी हर 10 में से 4 भारतीयों की मातृभाषा हिन्दी है। हिन्दी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का उपयोग होता है।

हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा या राजभाषा ?

भारत में हिन्दी का भले ही कितना बोलबाला हो, लेकिन यह आज भी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि राजभाषा है। हालांकि देश में इसे बोलने वालों की संख्या अधिक है और लगभग हर कोने में हिन्दी बोलने वाला या समझने वाला कोई न कोई जरूर मिल जाता है। लेकिन इसके बावजूद भी हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है।

बापू ने की थी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की बात

संविधान का मसौदा तैयार करते वक्त हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने की मांग जोर-शोर से उठी थी। तब 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में गांधी जी ने हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने की बात कही थी। वे सालों तक हिन्दुस्तानी और देवनागरी लिपि के प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे। उन्होंने हरिजन अखबार में लिखा था कि हिन्दुस्तानी भाषा को कठिन संस्कृत वाली हिंदी और फारसी से भरी उर्दू भाषा से अलग होना चाहिए जो कि इन दोनों भाषाओं का मिश्रण हो।

इस दिन मिला राजभाषा का दर्जा

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सबसे पहले हिन्दी को राष्ट्र भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की थी। लेकिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से इसे राजभाषा का दर्जा देने को लेकर सहमति जताई।  1950 में संविधान के अनुच्छेद 343(1) के द्वारा हिंदी को देवनागरी लिपि के रूप में राजभाषा का दर्जा दिया गया। देश के संविधान के अनुच्छेद 343 से लेकर 351 राजभाषा संबंधी संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं।

बिहार बना हिन्दी को अपनाने वाला पहला राज्य

स्वतंत्रता मिलने के 65 साल पहले ही बिहार ने हिन्दी को राज्य की आधिकारिक भाषा बना दिया। बिहार पहला राज्य है, जिसने हिन्दी को आधि‍कारिक भाषा के रूप में अपनाया था। साल 1881 में बिहार ने हिन्दी को आधिकारिक भाषा घोषित किया था। इससे पहले तक बिहार की आधिकारिक भाषा उर्दू थी।

हिन्दी दुनिया की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा

हिन्दी दुनिया की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। 60 करोड़ से ज्यादा की विश्व आबादी हिन्दी भाषी है। हिन्दी भारत और दुनिया के अन्य देशों में बसे भारतीयों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करती है। इसलिए 10 जनवरी को भारत समेत अन्य देशों में हिन्दी के प्रसार प्रचार के लिए विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है जबकि भारत 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाता है।

भारत के अलावा और कहां बोली जाती है हिंदी?

भारत ही नहीं फिजी, मॉरीशस और त्रिनिदाद और टोबेगो में भी हिन्दी आधिकारिक भाषा है। साल 1997 में फिजी के संविधान ने हिन्दी भाषा को देश की आधिकारिक भाषा घोषित किया, हालांकि उस वक्त फिजी ने इसे हिन्दुस्तानी भाषा के नाम से संविधान में जोड़ा था, जिसे 2013 में हिन्दी कर दिया गया। इसके अलावा भारत के बाहर पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, और दक्षिण अफ्रीका सहित कई अन्य देशों में हिन्दी बोलने का चलन है।

1977 में संयुक्त राष्ट्र में पहली बार गूंजी हिन्दी

करोड़ों भारतीयों को एक सूत्र में बांधने वाली हिन्दी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रभावी रही है। संयुक्त राष्ट्र में कई बार हिन्दी की गूंज सुनाई दी है। संयुक्त राष्ट्र में पहली बार 1977 में हिन्दी बोली गई थी । तब मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिन्दी में संबोधित किया था। वाजपेयी ने दुनिया को जय जगत का नारा दिया था। यह पहला ऐसा मौका था, जब भारत के किसी नेता ने वैश्विक मंच पर हिन्दी बोली थी। अपने इस चर्चित भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बचकम् का नारा दिया और पूरी दुनिया को एक परिवार बताया था।

1931 में हिन्दी भाषा की पहली फिल्म थी आलमआरा

भारतीय सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई थी और इसके 18 साल बाद हिन्दी भाषा की पहली फिल्म आलमआरा प्रदर्शित हुई। आलम आरा फिल्म को अर्देशिर एम. ईरानी ने बनाया था। अर्देशिर ने 1929 में हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म ‘शो बोट’ देखी और उनके मन में बोलती फिल्म बनाने की इच्छा जागी। पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक को आधार बनाकर उन्होंने अपनी फिल्म की पटकथा लिखी और 1931 में भारत को पहली बोलती फिल्म दी।

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