Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के भद्रवाह में लैवेंडर फूलों की खेती करने वाले किसानों को बजट से काफी उम्मीदें हैं, सरकार ने लैवेंडर फूलों की खेती को बढ़ावा देने के इरादे से 2016 में भद्रवाह में ‘अरोमा मिशन’ लॉन्च किया था। दो फेज की कामयाबी के बाद अब तीसरा फेज चल रहा है।
भद्रवाह को भारत की लैवेंडर कैपिटल के रूप में जाना जाता है। एक जिला, एक उत्पाद के तहत इसका प्रॉडक्ट भी लेवेंडर फूल ही है। किसान और छोटे कारोबारियों का कहना है कि “यह जो अंतरिम बजट आ रहा है तो हम चाहते हैं कि अरोमा मिशन में ये बजट आए जैसे हमारा फेज वन, फेज टू फेज थ्री चला। इसी तरीके से हम चाहते हैं कि ये आगे बढ़े। हम इसी तरीके चाहते हैं कि और ज्यादा बढ़ाएं वैल्यू एडिशन पर आएं हैं। अगरबत्ती बना रहे हैं सोप बना रहे हैं हेयर ऑयल बना रहे हैं तो उसमें भी काफी स्कोप होगी अगर अंतरिम बजट अरोमा मिशन में आएगा तब फायदा होगा इसको।”
पहले डोडा जिले में मक्का की खेती बड़े स्तर पर की जाती थी लेकिन अब ज्यादातर किसान लेवेंडर की खेती ही करते हैं। इस वजह से इस जिले को ‘पर्पल रिवॉल्यूशन’ का श्रेय दिया जाता है। डोडा के किसानों को उम्मीद है कि सरकार आगे भी इस इलाके के किसानों को लेवेंडर के फ्री पौधे मुहैया कराती रहेगी।
किसानों का कहना है कि “जैसे फ्री में लैवेंडर के पौधे मिलते थे उसी तरह मिलने चाहिए क्योंकि हम दूर दराज इलाके में रहते हैं। वहां पर गाड़ी की सहूलियत भी नही है, रोड भी नहीं है तो वहां पर तेल लगाने वाली मशीन भी होनी चाहिए ताकि बाकी लोग भी आएं और उसका फायदा उठाएं।” लैवेंडर की खेती और उससे जुड़े कारोबारियों का मानना है कि अभी लेवेंडर की खेती में अपार संभावनाएं हैं। उन्हें उम्मीद है कि बजट में सरकार इस बात का ख्याल रखेगी।