Child trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को छह महीने में मुकदमा पूरा करने का निर्देश दिया

Child trafficking: उच्चतम न्यायालय ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया कि वो संबंधित जिला अदालतों से बाल तस्करी के लंबित मुकदमों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगें और उन्हें इन मुदकमों की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दें। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने मानव तस्करी के एक मामले के 13 आरोपियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की ओर से दी गई जमानत रद्द कर दी और राज्य सरकार को अपराध की रोकथाम से जुड़े उपायों के कार्यान्वयन के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, “हम देशभर के सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश देते हैं कि वे बाल तस्करी से जुड़े लंबित मुकदमों की स्थिति के संबंध में आवश्यक जानकारी मांगें। हर एक उच्च न्यायालय जब मुकदमों की स्थिति के संबंध में आवश्यक आंकड़े एकत्र कर लेगा, तो उसके प्रशासनिक पक्ष की ओर से सभी संबंधित सुनवाई अदालतों को एक परिपत्र जारी किया जाएगा, जिसमें परिपत्र जारी होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर सुनवाई पूरी करने और यदि आवश्यक हो, तो दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई करने का निर्देश दिया जाएगा।”

पीठ ने कहा कि इसके बाद प्रत्येक उच्च न्यायालय को परिपत्र में दिए गए निर्देशों के अनुपालन के संबंध में एक रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपनी चाहिए। उसने कहा कि सभी राज्य सरकारों को भारतीय अनुसंधान और विकास संस्थान (BIRD) की 12 अप्रैल 2023 की रिपोर्ट और उसकी सिफारिशों पर गौर करना चाहिए। साल 2023 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने BIRD को मानव तस्करी पर अध्ययन का काम सौंपा था। संस्थान ने मानव तस्करी, खासकर बाल तस्करी की जांच में राज्यों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा अपनाए गए तंत्र में विभिन्न कमियों को चिह्नित किया था और उपचारात्मक उपाय सुझाए थे।

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