Mahakaleshwar Temple: मुख्यमंत्री शिवराज पहुंचे महाकाल के दरबार, महारुद्र अनुष्ठान का किया गया आयोजन

Mahakaleshwar Temple: उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में आज सुबह देश-प्रदेश में अच्छी बारिश और जनकल्याण की भावना को लेकर महाकालेश्वर प्रबंध समिति ने महारुद्र अनुष्ठान का आयोजन किया है। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी शामिल हुए, उन्होंने महाकाल के दरबार में पूजन-अर्चन कर अभिषेक भी किया।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के उज्जैन पहुंचने पर भाजपा के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वह महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने सबसे पहले बाबा महाकाल की पूजन-अर्चना कर अभिषेक किया, इसके बाद अनुष्ठान में शामिल हुए। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी व महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य पंडित राम शर्मा ने बताया कि देश और प्रदेश में अच्छी बारिश व जन-जन का कल्याण हो, इसी कामना के साथ महारुद्र अनुष्ठान किया जा रहा है, इसे महाकाल मंदिर के 66 पंडे-पुजारियों द्वारा किया जा रहा है।

Mahakaleshwar Temple:    Mahakaleshwar Temple

अनुष्ठान के सम्पन्न होने तक मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इसमें शामिल रहे, उनके साथ जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने भी उनके साथ अनुष्ठान में हिस्सा लिया. बता दें कि मध्यप्रदेश में खंड वृष्टि के चलते भादौ मास में पहली बार भगवान महाकाल का महारुद्राभिषेक अनुष्ठान किया गया।

शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि- “प्रभु श्री राम की कृपा से आज ओरछा में “श्री रामराजा लोक” के भूमिपूजन और जल जीवन मिशन परियोजनाओं के लोकार्पण का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान श्री राम से यही प्रार्थना करता हूँ कि ओरछा के साथ-साथ संपूर्ण मध्यप्रदेश पर उनकी असीम कृपा की अनवरत वर्षा होती रहे, सबके जीवन में मंगल और सौभाग्य का नव सूर्य उदित हो, हर घर-आँगन में सुख, समृद्धि एवं आनंद के नव पुष्प पल्लवित हों। जय श्री राम!”

Mahakaleshwar Temple: मुख्यमंत्री भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर अनुष्ठान का शुभारंभ किया, इसके बाद सतत जलधारा प्रवाहित की गई और 66 ब्राह्मणों ने नंदी हॉल में बैठकर महारुद्राभिषेक के 102 आवर्तन किए। बता दें कि मध्य प्रदेश में इस बार सामान्य से 13 फीसद बारिश कम हुई है, इस वजह से देवाधिदेव महादेव महाकाल को मनाना नितांत आवश्यक है।

शास्त्रीय मान्यता के अनुसार वर्षा ऋतु में एक दिन शेष रहने पर भी इस प्रकार का अनुष्ठान किया जा सकता है और पहली बार भादौ मास में यह अनुष्ठान किया जा रहा है.

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