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ग्वालियर. देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी में जब संसद में बोलते थे तो हर शख्स उनके भाषण से मंत्र मुग्ध हो जाता था. एक राजनेता होने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी के कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे. 25 दिसंबर को उनके जन्मदिन (Former PM Atal Bihari Vajpayee 97th Start Anniversary) है पर आइए जानते हैं उनकी जिंदगी के खास किस्से.
गौरतलब है कि राजनीति के महारथी माने जाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. उन्हें विपक्षी पार्टियों के नेता भी पसंद करते थे. उन्होंने भाषा की मर्यादा कभी नहीं लांघी. वह विपक्ष पर हमला करते हुए भी शब्दों का ख्याल रखते थे. वाजपेयी अपनी बातों से ही विरोधियों को छलनी कर देते थे.
लड्डू के शौकीन थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री को मिठाई खाने का बड़ा शौक था. खासतौर से उन्हें बहादुरा के लड्डू काफी पसंद थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद जब भी शहर का कोई व्यक्ति उनसे मिलने जाता, तो वो बहादुरा के लड्डू लेकर जरूर जाता. इसी वजह से एक अंग्रेजी अखबार ने तो इन लड्डुओं को ‘पासपोर्ट टू पीएम’ की संज्ञा तक दे दी थी. इसी वजह से एक अंग्रेजी अखबार ने तो इन लड्डुओं को ‘पासपोर्ट टू पीएम’ की संज्ञा तक दे दी थी. बहादुरा मिष्ठान भंडार के मालिक के अनुसार, जब वे बहुत छोटे थे, तब अटल जी उनके यहां लड्डू खाने आते थे. उस वक्त उनके लड्डू 4-6 रुपए प्रति किलो बिकते थे. जिनका दाम आज 360 रुपए किलो पहुंच चुका है.
खाने के चीजों के दीवाने थे वाजपेयी
अटल बिहारी के बचपन के दोस्त के मुताबिक, वाजपेयी बचपन में काफी शरारत भी करते थे. पैसे की तंगी के बाद भी वह दोस्तों के साथ मिलकर प्रसिद्ध खान-पान की जगहों पर जाते थे. कई बार तो अटल बिहार वाजपेयी साथ में उन्हें इमरती खाने ले जाते थे. उन्होंने आगे बताया कि एक आने और दो आने की इमरती खाकर खुद वहां से चले जाते और जब दोस्त उन्हें अपने हिस्से के पैसे देने की बता कहते, तो वे सड़क के उस पार खड़े होकर उन्हीं से भुगतान करने को कह कर वहां से चले जाते थे.
13 दिन के लिए बने थे प्रधानमंत्री
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. साल 1996 में वह 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने. इसके बाद 1998 से 1999 में 13 महीने के लिए और 1999 से 2004 के दौरान वह भारत के प्रधानमंत्री रहे. वाजपेयी को साल 1992 में पदमा विभूषण और साल 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. वह 16 अगस्त 2018 को इस दुनिया को अलविदा कह गए.
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