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बैतूल. बैतूल जिले में एक ग्राम पंचायत में सौहार्द्र बनाए रखने के लिए ग्रामीणों ने आपसी सहमति से गांव की सरकार का चयन कर लिया. चिचोली विकासखण्ड के ग्राम देवपुर कोटमी में न तो पंचायत चुनाव का शोरगुल है, न किसी के चुनाव जीतने-हारने की कोई फिक्र. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के ग्रामीणों ने गांव के हित में आपसी सलाह-मशविरे से बिना मतदान के पंचायत के पदाधिकारियों का चयन कर लिया. गांव वालों के इस फैसले पर सरकार की तरफ से 5 लाख रुपये का इनाम देने का फैसला किया गया है.
ग्रामीणों के अनुसार जब सबकी राजीखुशी से पदाधिकारियों का चयन हो सकता था तो फिर चुनाव की जरूरत ही क्या है? दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर में ग्राम देवपुर कोटमी के 12 लोगों को असमय जान गंवानी पड़ी. इसका सीधा असर ग्रामीणों के दिल पर हुआ. ग्रामीणों में ये तय किया कि जब इस तरह सबको एकदिन जाना ही है तो फिर चुनाव में खड़े होकर लड़ाई-झगड़ा और आपसी भाईचारे को क्यों बिगड़ना. कहा गया है कि इसी भावना के साथ ग्रामीणों ने चुनाव न लड़ने का फैसला लिया.
शिक्षा बनी योग्यता का आधार
बिना मतदान के गांववालों के सामने सवाल ये था कि किसे और क्यों प्रतिनिधि बनाया जाए? इस पर सभी ने विचार किया और शिक्षा को आधार बनाया. आदिवासी महिला के लिए आरक्षित इस सरपंच पद पर 10वीं कक्षा तक पढ़ी महिला निर्मला को चुनने का फैसला किया गया. पंचों के लिए कम से कम 8वीं कक्षा तक पढ़ा होना जरूरी माना गया है.
सरकार से मिलेगा 5 लाख का पुरस्कार
ग्राम देवपुर कोटमी को शासन की ओर से 5 लाख का इनाम मिलेगा. ग्रामीणों ने तय किया है कि इनाम की राशि गांव के विकास पर खर्च होगी. बहरहाल ग्राम देवपुर कोटमी की चर्चा बैतूल सहित पूरे प्रदेश में हो रही है. कहा गया है कि कई लोग चाहते हैं कि दूसरे गांव भी इससे प्रेरणा लें. हालांकि ग्रामीणों के इस फैसले पर मुहर लगने के लिए लम्बा इंजतार करना होगा, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया और परिणाम घोषित होने में लंबा समय बाकी है.
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