Bombay HC: मुंबई उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि छह फुट तक ऊंचाई वाली सभी मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम जलकुंडों में किया जाए, न्यायालय ने इस वर्ष 27 अगस्त से शुरू हो रहे 10 दिवसीय गणेश उत्सव के मद्देनजर ये आदेश दिया है।
यह आदेश मार्च 2026 तक उन त्योहारों के लिए प्रभावी रहेगा जिनमें मूर्तियों, प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों समेत, का विसर्जन किया जाता है।
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मर्ने की पीठ ने कहा, “न्यायालय का प्रयास ये है कि मूर्ति विसर्जन का पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव पड़े, इसलिए छह फुट तक की सभी मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम जलकुंडों में अनिवार्य रूप से किया जाए।”
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि वो मूर्तियों के विसर्जन के संबंध में इसकी नीति का अक्षरशः क्रियान्वयन सुनिश्चित करे। पीठ ने कहा कि सभी स्थानीय निकाय ये सुनिश्चित करें कि छह फुट तक की सभी मूर्तियों का विसर्जन केवल कृत्रिम जलकुंडों में ही किया जाए।
इसके अलावा, न्यायालय ने राज्य सरकार को पीओपी से बनी मूर्तियों के पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) के उपाय सुझाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का भी निर्देश दिया। समिति ये भी जांच करेगी कि वैज्ञानिक और पर्यावरण अनुकूल तरीकों से मूर्तियों के विसर्जन का समाधान कैसे किया जा सकता है।
उच्च न्यायालय ने यह आदेश केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की संशोधित दिशानिर्देशों को लागू करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया।