Ukraine: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में छह महीने में हुई दूसरी मुलाकात, पहले के मुकाबले ज्यादा बेहतर माहौल में हुई। यूरोपीए देशों के नेता भी एकजुटता दिखाने और ट्रंप के लिए आभार जताने के लिए इस बैठक का हिस्सा बने। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि बैठक में यूक्रेन के मुद्दे पर बात उनकी उम्मीदों से कहीं ज्यादा आगे बढ़ी है। हालांकि युद्ध खत्म करने की दिशा में बहुत कम प्रगति हुई। ऐसे में माना जा रहा है कि ये गतिरोध पुतिन को फायदा पहुंचा रहा है क्योंकि रूसी सेनाएं धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं।
सुरक्षा गारंटी पहली बड़ी परीक्षा बनी हुई है। यूक्रेन पश्चिमी हथियारों और प्रशिक्षण से समर्थित एक मज़बूत सेना और संभवतः नाटो की सामूहिक रक्षा जैसी गारंटी चाहता है। यूरोपीय सहयोगी एक बहुराष्ट्रीय बैकस्टॉप फोर्स की संभावना तलाश रहे हैं। 30 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन अमेरिका की भूमिका अब तक साफ नहीं है। ट्रंप ने बेहतर तालमेल का वादा तो किया था लेकिन यूक्रेन की रक्षा के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने से साफ इनकार कर दिया। वहीं रूस, यूक्रेन में नाटो की किसी भी तरह की मौजूदगी को मानने से इनकार करता रहा है।
दो और बातें यूक्रेन से जुड़े मुद्दे पर आगे बढ़ने में रोड़ा अटका रही हैं। ट्रंप ने पहले ओवल ऑफिस में जेलेंस्की के साथ बैठक में कहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम “अनावश्यक” है। हालांकि बाद में वे कहते दिखे कि सभी नेता ऐसा होता देखना पसंद करेंगे। वहीं धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे पुतिन के पास रुकने की कोई वजह नहीं है।
इलाकों की बात करें तो रूस के पास क्रीमिया और यूक्रेन के छह क्षेत्रों के कुछ हिस्से हैं, जो यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से के बराबर है। इसके अलावा रूस ने डोनबास पर भी अपना दावा किया है, जो पूर्वी यूक्रेन का एक क्षेत्र है। यूक्रेन का संविधान देश की जमीन को किसी दूसरे देश को देने पर रोक लगाता है। पुतिन और जेलेंस्की के बीच मुलाकात की चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया है। यूरोपीय देशों के नेता भी मानते हैं कि इस मुद्दे पर अभी और विस्तृत बातचीत की जरूरत है।