शापूरजी पालोनजी ग्रुप के चेयरमैन पद्मभूषण पालोनजी मिस्त्री का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। अरबपति पालोनजी मिस्त्री को देश में इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, एनर्जी, फाइनेंस जैसे क्षेत्रों में व्यवसाय को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। पालोनजी मिस्त्री, टाटा समूह के सबसे बड़े व्यक्तिगत शेयरधारक रहे। समूह में उनकी 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी शोक व्यक्त किया है।
आयरिश पत्नी के लिए छोड़ी थी भारतीय नागरिकता
पालोनजी मिस्त्री का जन्म एक पारसी परिवार में हुआ था। साल 2003 में पालोनजी ने आयरिश नागरिकता लेने के लिए भारतीय नागरिकता छोड़ दी। उन्होंने नागरिकता छोड़ने का आधार अपनी पत्नी के आयरिश नागरिक होने को बनाया था। पालोनजी की पत्नी पैट पैट्सी पेरिन डबाश का जन्म सितंबर 1939 में डबलिन के हैच स्ट्रीट नर्सिंग हाउस में हुआ था। वे अपने पीछे पत्नी और दो बेटे शापूर मिस्त्री, सायरस मिस्त्री और दो बेटियां लैला मिस्त्री और अलू मिस्त्री को छोड़ गए है। उनके बेटे सायरस मिस्त्री साल 2012 से 2016 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रह चुके हैं।
पूरे बिजनेस में काम करते हैं 50,000 कर्मचारी
150 वर्ष से अधिक पुराना, शापूरजी पालोनजी ग्रुप भारत की सबसे बड़ी व्यापारिक फर्मों में से एक है। 1865 में स्थापित, निर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी शापूरजी पालोनजी ग्रुप में छह व्यावसायिक खंड – इंजीनियरिंग और निर्माण, बुनियादी ढांचा, रियल एस्टेट, पानी, ऊर्जा और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं। पालोनजी मिस्त्री की कंपनियों में कुल 50 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। शापूरजी पलोनजी ग्रुप करीब 50 देशों में अपनी सेवाएं देता है।
पालोनजी पर लिखी गई लघु आत्मकथा
शापूरजी पालोनजी का निवास मुंबई में ही रहा। आयरलैंड में फेमिली रिलेशन, घोड़ों से प्यार पालोनजी को वहां खींच लाता था। पालोनजी पर 2008 में पालोनजी मिस्त्री की लघु आत्मकथा- ‘द मुगल्स ऑफ रियल एस्टेट’ लिखी गई थी जिसके लेखक मनोज नांबुरु थे। खास बात यह है कि पूरी आत्मकथा को केवल 5 पेज में समेट दिया गया है। पालोनजी मिस्त्री के बारे में ये भी कहा जाता है कि वे दुनिया के सबसे गुमनाम अरबपति हैं। उनके पास करीब 10 अरब डॉलर की संपदा है, लेकिन उन्हें शायद ही कभी किसी सार्वजनिक जगह पर देखा या सुना गया। पालोनजी मिस्त्री को साल 2016 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।