नमिता बिष्ट
समाज में महिला और पुरुष दोनों ही अपना एक अलग महत्व रखते हैं। जहां समाज में महिला के महत्व और उनसे जुड़ी समस्याओं को उजागर करने के लिए हर साल महिला दिवस मनाया जाता है, तो उसी तरह पुरुषों के कार्यों, उनके सकारात्मक गुणों की सराहना और समाज में उनकी अहमियत को समझाने के लिए हर साल 19 नवंबर यानि आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है। यह वह दिन भी है, जब पुरुषों की भलाई और स्वास्थ्य के प्रति समाज में जागरूकता लाई जाती है। साथ ही इस दिन समाज में पुरुषों के साथ किए जाने वाले शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और भेदभाव पर भी प्रकाश डाला जाता है। तो चलिए जानते हैं इस दिवस के इतिहास और उद्देश्य के बारे में………
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस हर साल 19 नवंबर को 80 से अधिक देशों में मनाया जाता है। पहली बार यह दिवस साल 1999 में मनाया गया था। वेस्टइंडीज विश्व विद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रहे डॉ. जेरोम तिलक सिंह ने इस दिन अपने पिता का जन्मदिन मनाया था और लोगों को पुरुषों के मुद्दों को उठाने के लिए प्रोत्सासहित किया था। तब से दुनियाभर में हर साल इस दिन को ‘इंटरनेशनल मेन्स डे’ यानि अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
2007 में भारत में पहली बार मनाया गया
वहीं अगर भारत की बात करें तो भारत में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने की शुरुआत महिलाओं ने की थी। यह दिवस भारत में पहली बार 19 नवंबर 2007 में मनाया गया था। इसकी शुरुआत 2007 में हैदराबाद की लेखिका उमा चल्ला ने की थी।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का उद्देश्य
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों के सामने पुरुषों की भलाई, स्वास्थ्य और संघर्षों को सामने लाना है। यह दिन समाज में पुरुषों के साथ होने वाले भेदभाव को समर्पित किया गया है। इस दिन लोगों को महिला और पुरुषों दोनों की अहमियत बताई जाती है। साथ ही लोगों को उनके साथ होने वाले भेदभाव के प्रति भी जागरूक किया जाता है।
ये है 2022 की थीम
हर साल अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस किसी खास थीम पर आधारित होता है। पिछले साल इसकी थीम पुरुषों और महिलाओं के बीच बेहतर संबंध रखी गई थी। वहीं इस साल 2022 की थीम ‘पुरुषों और लड़कों की मदद करना’ है। जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर पुरुषों और लड़कों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करना है।