रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस पर लगे प्रतिबंधों का खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है। युद्ध का असर अंतरर्राष्ट्रीय तेल बाजार पर पड़ रहा है। कच्चे तेल के दामों में रिकॉर्ड स्तर पर उछाल आया है। आज कच्चे तेल का भाव 130 डॉलर पर पहुंच गया जो अपने 14 सालों का उच्चतम स्तर है।
क्रूड की कीमतें अपने ऑल टाइम हाई से महज 10 कदम यानी 10 डॉलर पीछे हैं। यह 2008 के बाद क्रूड ऑयल का सबसे ऊंचा स्तर है। और यह 14 साल के हाई पर पहुंच चुका है। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) भी 10.83 डॉलर यानी 9.4 फीसदी बढ़कर 126.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। आपको बता दें कि जुलाई 2008 में ब्रेंट क्रूड 147.50 डॉलर और डब्ल्यूटीआई 147.27 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था।
दरअसल, अमेरिका, यूरोप और सहयोगी देशों ने रूस से तेल नहीं खरीदने का मन बनाया है। वहीं दूसरी ओर रूस अभी प्रति दिन करीब 70 लाख बैरल तेल सप्लाई करता है। अगर रूस के ज्यादातर सप्लाई को रोक दिया गया तो बाजार में एक झटके में 50 लाख बैरल की कमी आ सकती है। और अगर ऐसा होता है तो इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम 200 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं। दूसरी ओर वैश्विक बाजारों में ईरानी कच्चे तेल की संभावित रिकवरी में देरी के कारण तेल की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं। इसका खास असर भारतीय अर्थव्यस्था पर भी पड़ रहा है। माना जा रहा है कि पांच राज्यों में चुनाव खत्म होने के बाद ही कभी भी पेट्रोल और डी़जल की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। जिससे आम आदमी की जेब पर एक बार फिर तगड़ा असर पड़ सकता है।