Javed Akhtar: मशहूर कवि, गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर 80 साल के हो गए, जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। अख्तर मशहूर लेखकों और कवियों के परिवार से आते हैं। उनके पिता, जां निसार अख्तर जाने-माने कवि थे और उनकी मां सफिया अख्तर गायिका और लेखिका थीं।
जावेद अख्तर का रुझान शुरू से ही साहित्य और कविता की ओर था, उन्होंने कम उम्र में ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। वे मिर्जा गालिब, फैज अहमद फैज और दूसरे मशहूर उर्दू कवियों की रचनाओं से काफी प्रभावित थे। शिक्षा पूरी करने के बाद जावेद अख्तर लेखन में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई चले गए।
फिल्म इंडस्ट्री में जावेद अख्तर को कामयाबी 1971 में मिली, उन्होंने सलीम खान के साथ फिल्म “अंदाज” की पटकथा लिखी। इसके बाद 1973 में आई फिल्म “जंजीर” ने उन्हें बुलंदी पर पहुंचाया। सलीम-जावेद के नाम से मशहूर जोड़ी ने 1975 में आई फिल्म “दीवार”, “शोले” (1975) और 1978 में रिलीज हुई “त्रिशूल” समेत कई सुपरहिट फिल्मों की पटकथा लिखीं।
गीतकार के रूप में जावेद अख्तर ने भारतीय सिनेमा के कुछ सबसे लोकप्रिय गाने लिखे। इनमें 2005 में आई फिल्म “बंटी और बबली” का “कजरा रे”, “जोधा अकबर” का “जश्न-ए-बहार” और “जिंदगी ना मिलेगी दोबारा” का “सेनोरिटा” भी शामिल हैं। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के कुछ सबसे मशहूर संगीत निर्देशकों के साथ काम किया है जिनमें ए. आर. रहमान, शंकर-एहसान-लॉय और विशाल भारद्वाज शामिल हैं।
अपने शानदार करियर के दौरान जावेद अख्तर को कई पुरस्कार मिले हैं। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं। उन्हें भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया है। उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीतकार और सर्वश्रेष्ठ संवाद सहित कई फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले हैं।
जावेद अख्तर ने दो बार शादी की है। पहली बार अभिनेत्री हनी ईरानी से और दूसरी बार अभिनेत्री शबाना आजमी से। उनके बच्चे फरहान अख्तर और जोया अख्तर कामयाब फिल्म निर्माता हैं।
पांच दशक से ज्यादा समय के करियर में जावेद अख्तर ने भारतीय सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके शब्दों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है और उनकी कविताओं ने पीढ़ियों को प्रेरित किया है। फिल्म इंडस्ट्री में उनका योगदान शानदार रहा है। अपने नौवें दशक में प्रवेश करते हुए, जावेद अख्तर भारतीय सिनेमा की दुनिया में चमकता सितारा बने हुए हैं, उनके काम को आने वाले कई सालों तक संजोया जाता रहेगा।