New Delhi: आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा ‘मिसाइलमैन’ को और करीब से जानने का मौका

New Delhi:  पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के निजी कागजात भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में पहुंच गए हैं। इन कागजातों में प्रमुख दस्तावेज, भाषण और पत्राचार शामिल हैं। उन्हें अन्य पूर्व राष्ट्रपतियों के कागजात के साथ सावधानीपूर्वक संरक्षित किया जाएगा और जनता के लिए सुलभ बनाया जाएगा। इससे डॉ. कलाम की विरासत से भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरणा मिलती रहेगी।

नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया के डीजी अरुण सिंघल ने बताया कि “नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया में पुराने अभिलेखों को हम लोग संरक्षित रखते हैं। और जो देश की विरासत है, जो महत्वपूर्ण लोगों से जुड़े हुए दस्तावेज हैं, वो भी हम लोग रखते हैं। हमारे पास जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति हैं, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पेपर्स हैं। डॉ. वी. वी. गिरि के पेपर्स हैं। एक प्रयास हम लोग कर रहे हैं कि जितने भी पूर्व राष्ट्रपति रहे हैं देश के, उस सबके पर्सनल पेपर्स को हम लोग संरक्षित करें और लोगों के सामने प्रस्तुत करें ताकि लोग इंस्पिरेशन ले सकें उनसे।”

भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार, डॉ. कलाम के परिवार और अन्य संबंधित पक्षों के बीच उनके दस्तावेजों और कागजातों के आधिकारिक संग्रह के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। अरुण सिंघल ने कहा कि आज हम लोग सौभाग्यशाली हैं कि डॉ. अब्दुल कलाम के परिवार के सदस्य आए हैं यहां पर। रामेश्वरम में हमारी टीम गई थी। वहां पे इनके पेपर्स को देख के पेपर्स को हम लोगों ने छांटा है। और पेपर्स हमारे पास आ रहे हैं। बड़े रोचक, इंटेरेस्टिंग पेपर्स हैं। इन सबको हम लोग देश के सामने लाएंगे। एक महीने के अंदर हम लोगों को उम्मीद है कि सारे के सारे हमारे पोर्टल पर दिखाई देंगे। ये पेपर्स आज हम लोगों को प्राप्त हुए हैं। बड़ी खुशी का दिन है हम लोगों के लिए।”

डॉ. कलाम के परिवार के सदस्यों ने राष्ट्र के लिए उनके महत्वपूर्ण योगदान और छात्र समुदाय के प्रति उनके गहरे स्नेह पर प्रकाश डाला। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के पड़पोता शेख दाउद ने कहा कि “उन्होंने डीआरडीओ और इसरो में रहने के दौरान कुछ तकनीकी ज्ञान, रॉकेट बनाने के बारे में उनकी सोच और उन सभी प्रक्रियाओं, सैद्धांतिक विचारों, उन सभी शोधपत्रों के बारे में लिखा है, जिन्हें हम प्रस्तुत कर रहे हैं।

भारत के रक्षा और वैज्ञानिक मिशनों के प्रमुख वास्तुकार डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने पोखरण में देश के 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति का पद संभाला और 2007 तक इस पद पर रहे थे। भारत के अंतरिक्ष मिशन में उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान एसएलवी-3 का विकास था। यही वह रॉकेट प्रणाली थी जिसने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *