New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमास-इजरायल संघर्ष के बीच शुक्रवार को कहा कि पश्चिम एशिया में घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही हैं और अब समय आ गया है कि ग्लोबल साउथ के देशों को व्यापक वैश्विक भलाई के लिए एक स्वर में बात करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही है। भारत ने सात अक्टूबर को हुए जघन्य आतंकी हमले की निंदा की है। हमने संयम के साथ डिपलोमेसी पर भी जोर दिया।
पीएम मोदी ने कहा “इजराइल और हमास के संघर्ष में नागरिकों की मौत की भारत कठोर निंदा करता है। राष्ट्रपति महमूद अब्बास जी से बात कर हमने फिलिस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता भी भेजी है। ये समय है जब ग्लोबल साउथ के देश ग्रेटर ग्लोबल गुड के लिए एक स्वर में बात करेंगे। वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर के लिए हम सब मिलकर फाइव सी के साथ आगे बढ़ें,जब मैं फाइव सी की बात करता हूं तब – कंसल्टेशन,
कोऑपरेशन, कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी और कैपेसिटी बिल्डिंग।”
मोदी ने कहा, “मैं वो ऐतिहासिक क्षण भूल नहीं सकता जब भारत के प्रयासों से अफ्रीकन यूनियन को नई दिल्ली समिट में जी20 स्थायी सदस्यता मिली।” उन्होंने कहा कि “जी20 ने इस बार क्लाइमेट फाइनेंस पर इस बार अभूतपूर्व गंभीरता दिखाई है। ग्लोबल साउथ के देशों के लिए आसान शर्तों पर क्लाइमेट ट्रांजिशन के लिए फाइनेंस और टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराए जाने पर भी सहमति बनी है।”
नरेंद्र मोदी ने कहा कि “पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही है। भारत ने सात अक्टूबर को हुए जघन्य आतंकी हमले की निंदा की है। हमने संयम के साथ डिपलोमेसी पर भी जोर दिया। इजराइल और हमास के कॉन्फ्लिक्ट में सिविलियन की मौत की कठोर निंदा करते है। राष्ट्रपति महमूद अब्बास जी से बात कर हमने फिलिस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता भी भेजी है। ये समय है जब ग्लोबल साउथ के देश ग्रेटर ग्लोबल गुड के लिए एक स्वर में बात करेंगे। वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर के लिए हम सब मिलकर फाइव सी के साथ आगे बढ़ें,जब मैं फाइव सी की बात करता हूं तब – कंसल्टेशन, कोऑपरेशन, कम्युनिकेशन, क्रिएटिविटी और कैपेसिटी बिल्डिंग।”
उन्होंने कहा कि “मैं वो ऐतिहासिक क्षण भूल नहीं सकता जब भारत के प्रयासों से अफ्रीकन यूनियन को नई दिल्ली समिट में जी20 स्थायी सदस्यता मिली। जी20 ने इस बार क्लाइमेट फाइनेंस पर इस बार अभूतपूर्व गंभीरता दिखाई है। ग्लोबल साउथ के देशों के लिए आसान शर्तों पर क्लाइमेट ट्रांजिशन के लिए फाइनेंस और टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराए जाने पर भी सहमति बनी है। भारत मानता है कि नई टेक्नोलॉजी नॉर्थ और साउथ के बीच दूरियां बढ़ाने का नया स्त्रोत नहीं बनना चाहिए।”