पैर की उंगलियों में बिछिया क्यों पहनती हैं महिलाएं ?

भारत विविधताओं का देश है. यहां अलग-अलग धर्म और समुदाय के लोग इतने प्रकार की मान्यताओं का पालन करते हैं जो चौंकाती भी हैं और जिनके बारे में जानकर लगता है कि वाकई हमारे पूर्वज आज के वक्त से ज्यादा विकसित थे. यहां पहने जाने वाले कपड़ों और आभूषणों से लेकर, रीति-रिवाजों तक, सबका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसा ही एक आभूषण है बिछिया जिसे महिलाएं अपने पैर की उंगलियों में पहनती हैं. आपने कई औरतों को बिछिया पहने देखा होगा. आमतौर पर उन्हें पैर की दूसरी उंगली, यानी अंगूठे की बगल वाली उंगली में पहना जाता है. कई औरतें अंगूठे में भी बिछिया पहनती हैं. बिछिया सिर्फ मान्यताओं या रीति-रिवाजों का पालन करने के लिए नहीं पहना जाता. इसका वैज्ञानिक कारण भी है जिसे जान लेना हर औरत के लिए जरूरी है.

बिछिया पहनने से ठीक रहता है महिलाओं का स्वास्थ्य

माना जाता है कि पैर की दूसरी उंगली की नसें सीधे दिल और महिलाओं के गर्भाशय से जुड़ी रहती हैं. ऐसे में जब इस उंगली पर बिछिया से दबाव पड़ता है तो नसें भी दबती हैं जिससे नसों में खून का संचार सुचारू ढंग से चलता है. ये बिछिया एक्यूप्रेशर का काम करती है. इस तरह महिलाओं का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और यूट्रस तक जाने वाला खून भी सही ढंग से बहता है जिससे महावरी में कोई समस्या पैदा नहीं होती. जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की शिकायत होती है, उनके लिए भी बिछिया पहनना अच्छा होता है. रक्त को प्राण माना गया है. इसलिए कहते हैं कि महिलाओं के प्राण अंगूठे से होकर गुजरते हैं, ऐसे में उसे संचालित रखना बेहद जरूरी है.

चांदी की ही बिछिया क्यों पहनती हैं औरतें?
आपने हमेशा देखा होगा कि बिछिया सिर्फ चांदी की ही पहनी जाती है. सोने की बिछिया औरतें नहीं पहनती हैं. इसके पीछे भी खास कारण है. सोने को देवी लक्षमी का रूप माना जाता है. ऐसे में औरतें कमर के नीचे सोने से बना कोई भी आभूषण नहीं पहनती हैं क्योंकि वो देवी का अपमान माना जाता है. दूसरा कारण ये भी है कि सिल्वर को विद्युत का सुचालक माना जाता है. चांदी, धरती की पोलर ऊर्जाओं को सोखकर हमारे शरीर में पहुंचाती है. इस तरह इस ऊर्जा का हमारे पूरे शरीर में संचार होता है.

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