Maliana Riots Case : 23 मई 1987 को मेरठ के मलियाना में दंगा हुआ था जिसमें 93 लोगों को आरोपी बनाया गया था. लेकिन इसमें 4 लोग ऐसे थे जो पहले ही मर चुके थे, और उनका नाम आरोपियों की लिस्ट में डाला गया था. एक नाम ऐसा था कि जो दो बार लिखा गया था और उस आधार पर 88 लोगों को खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
36 साल बाद कोर्ट ने फैसला देते हुए 41 आरोपियों को बरी किया गया। इस मामले में एडीजीसी क्रिमिनल सचिन मोहन ने बताया कि इस मामले में 61 गवाह बनाए गए थे. जिसमें से कुल 14 गवाह न्यायालय में पेश हुए और 30 गवाहों की मौत हो चुकी थी. बाकी गवाह जो बनाए गए थे वह मिले ही नही.
Maliana Riots Case :
88 आरोपियों में से न्यायालय ने 41 को बरी कर दिया है क्योंकि उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं पेश हो पाए हैं. और साथ ही जो गवाह बनाए गए थे उन्होंने आरोपियों को पहचानने से इंकार कर दिया था. बाकी इनमें से 9 से 10 लोगों को भगोड़ा घोषित किया गया है. जो अब तक न्यायालय में पेश नहीं हुए हैं. साथ ही बाकी लोगों की जो बचे हैं उनकी मौत हो चुकी है.
1987 में हुए मलयाना दंगे में कुल 68 लोगों के मरने की बात की गई थी. लेकिन न्यायालय में 42 लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जमा हुई थी. सचिन मोहन ने ये भी बताया कि सलीम नाम के शख्स ने यह बताया कि उस समय में तत्कालीन एसओ ने उनको थाने बुलाकर वोटर लिस्ट से नाम लिखवाए थे. इसमें पुलिस की रिपोर्ट लिखने में भी लापरवाही हुई है. किसी से हथियार की भी बरामदगी नहीं हो पाई थी.
Maliana Riots Case : इसमें अदालत ने फैसला देते हुए 41 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. जबकि जो लोग अदालत नहीं पहुंचे हैं उनके खिलाफ अभी मामला जारी रहेगा.
1987 में हुए दंगे में लगभग 68 लोग मारे गए थे जिसमें 93 लोगों को आरोपी बनाया गया था लेकिन 4 सीट 88 लोगों खिलाफ दी गई थी क्योंकि आरोपियों में से चार पहले ही मरे हुए लोगों के नाम लिखे गए थे और एक नाम दो दफा लिखा गया था। वहीं आरोपियों के पास से कोई असलाह या कोई ऐसी चीज बरामद नहीं हो सकी जिनसे उन्हें आरोपी सिद्ध किया जा सके
मामले की सुनवाई एडीजे 6 लखविंदर सूद की कोर्ट में हुई. यह कोर्ट की सबसे पुरानी फाइल में से एक थी.
बता दें कि मलियाना कांड के मोहल्ला शेखान निवासी याकूब ने टीपी नगर थाने में 93 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई थी. पीड़ितों की ओर से निजी अधिवक्ता अलाउद्दीन ने सेशन कोर्ट में पैरवी की.
इस मामले में FIR कराने वाले और मुकदमा लड़ने वाले याकूब सिद्दीकी का कहना है कि उन्हें न्याय नहीं मिला है. वह इसके लिए अपील और आगे का रास्ता भी अख्तियार करेंगे. अगर यह कहा जा रहा है कि किसी का कोई कसूर नहीं सब को बरी कर दिया गया फिर इन सब को मारा किसने? जब किसी ने मारा ही नहीं तो उस समय हमें ₹20000 का मुआवजा क्यों दिया गया, घर क्यों बनवाए गए, क्यों मिलिट्री लगाई गई थी क्यों 36 साल मुकदमा चला.
Maliana Riots Case :
जिन आरोपियों को बरी किया गया है उनके नाम कैलाश भारती, कालीचरण, सुनील ,प्रदीप, धर्मपाल, विक्रम, तिलकराम ,ताराचंद, दयाचंद , प्रकाश, रामजीलाल, गरीबदास, भिकारी , संतराम ,महेंद्र ,वीर सिंह, राकेश ,जीते ,कुन्नू, शशि ,नरेंद्र ,कांति ,त्रिलोक चंद, ओमप्रकाश, कन्हैया, अशोक ,रूपचंद, ओमप्रकाश ,पूरन, नरेश कुमार ,राकेश ,केंद्र प्रकाश, सतीश , लख्मी व विजेंद्र आदि है
इनमें गवाहों के नाम वकील अहमद, अली हसन ,इस्लामुद्दीन, रईस अहमद, इस्लामुद्दीन ,मेहताब ,मेहताब अशरफ, मोहम्मद शाहिद, फरीद अहमद , मोहम्मद याकूब ,मोहम्मद जुल्फिकार , डा वीके शर्मा , एस ओ जगबीर सिंह , एसआई गुरुदीप आदि हैं