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गोपालगंज. अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में जब बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की और राज्य के हेल्थ सिस्टम को फिसड्डी बताया तो सीएम नीतीश कुमार भड़क गए थे. उन्होंने नीति आयोग के रैंकिंग के तरीके को भी गलत करार दिया था. लेकिन, जब आप धरातल को टटोलते हैं तो हकीकत कुछ-कुछ नीति आयोग की रिपोर्ट से मिलती-जुलती है. दरअसल, गोपालगंज में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. सदर अस्पताल में टॉर्च की रोशनी में इलाज करने की तस्वीर कैमरे में कैद हुई. सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड का ये मामला है. यहां पर बारिश की वजह से बिजली सप्लाई में फॉल्ट आ गई. बिजली के नहीं रहने पर इनर्वटर या जेनरेटर से काम किया जाता है, लेकिन यहां पर पता चला कि अस्पताल का इनवर्टर भी खराब है. ऐसे में डॉक्टर ने मोबाइल में मौजूद टॉर्च की रोशनी में इलाज शुरू कर दिया.
टॉर्च की रोशनी में इलाज- इस तरह की समस्या आने पर रोगी को काफी दिक्कतों का सामना करना होता है. पहली कहानी काकड़कुंड गांव के रहनेवाले टीबी के मरीज अनिल राम कि है जिसे परिजन इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड लाए, लेकिन वहां बिजली गुल थी. फिर क्या था अंधेरे में मोबाइल की टॉच जलाकर इंजेक्शन दिया गया. साथ ही जहां मरीज को भर्ती किया गया, वहां छत से बारिश का पानी भी टपक रहा था. ये देखकर तो मरीज और ज्यादा परेशान हो गए.
दूसरा मामला हसनपुर गांव की रहनेवाली बुधा देवी का है. जब इस रोगी को सांस लेने में दिक्कत होने तब इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया, जहां अंधेरे में महिला का इलाज किया गया. सांस लेने में दिक्कत हो रही महिला के चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क भी लगा गया. लेकिन, बिजली की सप्लाई नहीं होने से ऑक्सीजन मशीन को बंद कर सिलेंडर से ऑक्सीजन चढ़ाया गया. तीसरी कहानी सरैया मोहल्ले की कनीज फातमा की है. इन्हें हाथ टूटने के बाद इमरजेंसी वार्ड में लाया गया, जहां अंधेरे में ही मोबाइल का टॉच जलाकर इंजेक्शन दिया गया.
डॉक्टर की सफाई
जब बिजली नहीं होने की बात इमरजेंसी वार्ड में तैनात डॉक्टर से पूछी गई तो डॉक्टर का कहना था कि अचानक बिजली का तार टूटने से रोशनी चली गई और इस मामले की जानकारी अधिकारियों को दी गयी. उनका कहना था कि बिजली मिस्त्री आने के बाद चालू करा दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि इनवर्टर है, लेकिन अचानक वह भी खराब हो गया.
खराब पावर सिस्टम
बताया जा रहा है बारिश होने के चलते अस्पताल का इमरजेंसी पावर लाइट सिस्टम खराब हो गया. बार-बार इसकी मरम्मत कराई जाती है, लेकिन जब जरूरत होता है तभी ये खराब हो जाता है. इस प्रकार की समस्या से मरीजों के साथ-साथ चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
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