H1B Visa: यूएससीआईएस यानी अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सितंबर में घोषित एक लाख अमेरिकी डॉलर के एच-1बी वीजा शुल्क पर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। यूएससीआईएस ने कहा कि ये नियम केवल एच-1बी वीजा पर अमेरिका में प्रवेश चाहने वाले अमेरिका से बाहर के व्यक्तियों के लिए दाखिल नए आवेदनों पर लागू होगा।
उसके मुताबिक यह शुल्क वर्तमान में वैध एच-1बी धारकों या 21 सितंबर 2025 से पहले जमा किए गए उन आवेदनों पर लागू नहीं होगा जिनमें आवेदकों ने ‘स्टेटस’ में बदलाव कराने या फिर प्रवास की अवधि बढ़वाने की इच्छा जताई है।
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा नेे स्पष्ट किया कि यह शुल्क F-1 स्टूडेंट स्टेटस से H-1B स्टेटस में जाने जैसे “स्टेटस में परिवर्तन” के मामलों पर लागू नहीं होता है, जहां व्यक्ति देश छोड़े बिना ही कैटेगरी बदल लेता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में एच1-बी वीजा के लिए शुल्क को बढ़ाकर प्रतिवर्ष एक लाख अमेरिकी डॉलर कर दिया गया है। इसे अमेरिका में भारतीय पेशेवरों पर बुरा असर डालने वाला कदम माना जा रहा है। यूएससीआईएस के मुताबिक हाल के सालों में स्वीकृत सभी एच-1बी आवेदनों में से लगभग 71 फीसदी भारतीय हैं।
ये दिशानिर्देश अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा ट्रंप प्रशासन के शुल्क लगाने के फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर करने के कुछ दिनों बाद जारी किए गए हैं। चैंबर ने इसे “भ्रामक नीति और स्पष्ट रूप से गैरकानूनी” कार्रवाई बताया है, जो अमेरिकी नवाचार और प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर सकती है।