Nepal: नेपाल की सेना ने विरोध प्रदर्शनों की आड़ में संभावित हिंसा को रोकने के लिए देशव्यापी आदेश और उसके बाद कर्फ्यू लगा दिया। ये आदेश बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफा देने के एक दिन बाद दिया गया है। देश भर में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद मंगलवार रात से देशव्यापी सुरक्षा अभियानों की कमान संभालने वाली सेना ने कहा कि प्रतिबंधात्मक आदेश बुधवार शाम पांच बजे तक लागू रहेंगे और उसके बाद गुरुवार सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा।
नेपाल की राजधानी में सन्नाटा पसरा रहा, क्योंकि सैनिकों ने सड़कों पर पहरा दिया और लोगों को घरों में रहने का आदेश दिया। ये कदम प्रदर्शनकारियों द्वारा संसद, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी भवनों, सर्वोच्च न्यायालय, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगाने के एक दिन बाद उठाया गया। एक बयान में सेना ने कहा कि “आंदोलन की आड़ में” लूटपाट, आगजनी और दूसरी विनाशकारी गतिविधियों की संभावित घटनाओं को रोकने के लिए ये कदम जरूरी थे। सेना ने चेतावनी दी है कि प्रतिबंधात्मक अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के प्रदर्शन, तोड़फोड़, आगजनी या व्यक्तियों और संपत्ति पर हमले को आपराधिक कृत्य माना जाएगा और उसके अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी।
बयान में कहा गया है, “व्यक्तियों के विरुद्ध बलात्कार और हिंसक हमलों का भी खतरा है। देश की सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, प्रतिबंधात्मक आदेश और कर्फ्यू लागू कर दिया गया है।” बयान में साफ किया गया है कि एम्बुलेंस, दमकल, स्वास्थ्यकर्मी और सुरक्षा बलों समेत जरूरी सेवाओं में लगी गाड़ियों और कर्मियों को प्रतिबंधात्मक आदेशों और कर्फ्यू के दौरान छूट होगी। एक अलग बयान में सेना ने कुछ समूहों की कार्रवाइयों पर चिंता जताई, जो “मुश्किल हालातों का गलत फायदा उठा रहे हैं” और “आम नागरिकों और सार्वजनिक संपत्ति को गंभीर नुकसान” पहुंचा रहे हैं। नेपाल सेना मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा, “हमने लूटपाट और तोड़फोड़ समेत किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अपने सैनिकों को तैनात किया है।”
सेना ने अनुरोध किया है कि मौजूदा हालात की वजह से फंसे विदेशी नागरिक बचाव या किसी और मदद के लिए निकटतम सुरक्षा चौकी या कर्मियों से संपर्क करें। इसके साथ ही होटलों, पर्यटन उद्यमियों और संबंधित एजेंसियों से भी अनुरोध किया गया है कि वे जरूरतमंद विदेशी नागरिकों को जरूरी मदद प्रदान करें। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने आगे की अशांति को रोकने के लिए निवासियों को घर के अंदर ही रहने का आदेश दिया है। सुबह से ही काठमांडू की आमतौर पर चहल-पहल वाली सड़कें सुनसान दिखीं। केवल कुछ ही लोग बाहर निकले, मुख्यतः दैनिक जरूरत की चीजें खरीदने के लिए।
सुरक्षाकर्मियों द्वारा सड़कों पर कड़ी गश्त की गई और मंगलवार को प्रदर्शनकारियों द्वारा जलाई गई सरकारी और निजी इमारतों में आग बुझाने के लिए दमकल गाड़ियों को तैनात किया गया। सेना ने लोगों से छात्र आंदोलन के दौरान लूटी गई या मिली बंदूकें, हथियार और गोलियां नजदीकी पुलिस चौकी या सुरक्षाकर्मियों को लौटाने की भी अपील की है।
सेना ने एक और बयान में कहा, “चूंकि ऐसे हथियारों के दुरुपयोग की संभावना है, कृपया अधिकारियों को सूचित करें और उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षा एजेंसियों को लौटा दें।” इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर कोई भी ऐसे हथियार या गोला-बारूद को वापस नहीं करता है और ये उसके पास पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सेना ने नागरिकों से “इस संवेदनशील समय में सेना की वर्दी न पहनने” की भी अपील की, क्योंकि ऐसा करना गैरकानूनी है। काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (टीआईए) बंद कर दिया गया और अगली सूचना तक बंद रहेगा। मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर हवाई अड्डे पर उड़ान सेवाएं आंशिक रूप से निलंबित कर दी गईं।
एक सार्वजनिक सूचना में हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा गंभीर स्थिति के कारण हवाई अड्डे को बंद किया गया है और यात्रियों तथा हितधारकों से आगे की जानकारी का इंतजार करने का आग्रह किया है। इससे पहले टीआईए ने बुधवार शाम छह बजे तक अस्थायी रूप से बंद करने की घोषणा की थी, लेकिन समाचार पोर्टल खबरहब के अनुसार, अब बिना किसी पूर्व सूचना के परिचालन रोक दिया गया है। इस बंद के कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों उड़ानें प्रभावित हुई हैं, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए हैं। एयरलाइनों ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे अपडेट के लिए अपनी-अपनी एयरलाइन कंपनियों के संपर्क में रहें। इस बीच अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों ने काठमांडू के अलग-अलग हिस्सों से लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ में शामिल 27 लोगों को गिरफ्तार किया है।
अभियानों के दौरान, काठमांडू के चाबाहिल, बौद्ध और गौशाला इलाकों में लोगों से 3.37 लाख रुपये नकद, 31 हथियार, मैगजीन और गोलियां बरामद की गईं। सेना ने लोगों से शांति बहाल करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने नेपाल के घटनाक्रम पर गहरी चिंता जताई और कहा है कि वे “स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं” और “लोगों की मौत से बहुत दुखी हैं।” उन्होंने मौतों की गहन और स्वतंत्र जांच का आह्वान किया और अधिकारियों से मानवाधिकार कानूनों का पालन करने, संयम बरतने और बातचीत को प्राथमिकता देने की अपील की।
प्रधानमंत्री ओली ने पद छोड़ दिया, जब सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत के लिए उनके इस्तीफे की मांग करते हुए उनके कार्यालय में प्रवेश किया। हालांकि, उनके इस्तीफे का प्रदर्शनकारियों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा और उन्होंने अपना प्रदर्शन जारी रखा। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध सोमवार रात हटा लिया गया।