Maharashtra: महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) के पूर्व इंस्पेक्टर मेहबूब मुझावर ने दावा करते हुए कहा है कि उन्हें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह आदेश इसलिए दिया गया था ताकि “हिंदू आतंकवाद” का नैरेटिव स्थापित किया जा सके।
ये बयान उन्होंने 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों, जिनमें पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी शामिल थीं, को बरी किए जाने के एनआईए कोर्ट के फैसले के बाद दिया। मेहबूब मुझावर ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने यह आदेश मानने से इनकार कर दिया, तो उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज कर दिया गया और उनकी 40 साल की पुलिस सेवा को बर्बाद कर दिया गया।
उन्होंने कहा, “मुझे राम कालसंगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और मोहन भागवत जैसे व्यक्तित्वों को लेकर गोपनीय निर्देश मिले थे। लेकिन ये आदेश ऐसे थे जिन्हें पालन नहीं किया जा सकता था।” मुझावर ने कहा, “मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती को गिरफ्तार करना मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर था। आदेशों का पालन नहीं करने पर मुझे साजिश का शिकार बनाया गया।”
मुझावर ने साफ तौर पर कहा कि “भगवा आतंकवाद जैसी कोई चीज नहीं थी। सब कुछ फर्जी था।” उन्होंने सवाल उठाया कि एटीएस ने उस समय कैसी जांच की और क्यों की, यह वे नहीं कह सकते, लेकिन जो आदेश उन्हें दिए गए थे, वे “भयानक” थे।
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए विस्फोट में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 घायल हुए थे। शुरुआत में मामले की जांच एटीएस ने की, लेकिन बाद में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया था।