Rajasthan: धूल की परतों में लिपटी और खड़ी-खड़ी कबाड़ हो चुकी इन स्कूटियों को राजस्थान के दौसा में 2022 और 2023 में मेधावी छात्राओं को दिया जाना था, लेकिन ऐसा हो न सका और गोदाम में पड़े-पड़े यह स्कूटी अब इस्तेमाल के लायक भी नहीं बची हैं।
तत्कालीन राज्य सरकार ने परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को दो पहिया वाहन वितरित करने की योजना शुरू की थी, इस पहल का मकसद उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें आसानी से कॉलेज आने-जाने में मदद करना था। हालांकि वादा किए जाने के तीन साल बाद भी छात्राओं को स्कूटी नहीं मिल पाई है, पिछले साल जिन छात्राओं ने परीक्षा में विशेष योग्यता हासिल की थी, उन्हें इस योजना के तहत स्कूटी मिल गई है जबकि तीन साल पहले पास हुई छात्राएं अब भी स्कूटी मिलने का इंतजार कर रही हैं।
कई ने तो उम्मीद ही छोड़ दी है। देरी के लिए जवाब मांगते-मांगते ये छात्राएं अब थक चुकी हैं। उनका कहना है कि उन्हें न तो साफ जवाब मिला और न ही वादे के मुताबिक स्कूटी ही मिली, जिन गोदामों में स्कूटी खड़ी हैं, वहां देखभाल कर रहे लोगों का कहना है कि वे अब तंग आ चुके हैं। दौसा के जिला कलेक्टर को इस बात की जानकारी है। हालांकि वे कहते हैं कि वे सिर्फ अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह पर ही काम कर सकते हैं। किसी को भी यह बात साफ तौर से पता नहीं है कि पिछले बैच की छात्राओं को स्कूटी क्यों नहीं मिल पाई है जबकि बाद की छात्राओं को मिल चुकी है।
अब तक यह स्कूटी गोदामों में धूल फांक रही हैं, इनमें से कुछ तो चलने लायक भी नहीं हैं जबकि कुछ को सड़क पर उतारने के लिए मरम्मत में काफी पैसा लगाना होगा, कुछ छात्राएं तो स्कूटी मिलने की आस छोड़ चुकी हैं। जबकि कुछ को उम्मीद है कि उन्हें उनकी मेहनत का इनाम जरूर मिलेगा।
छात्रा कृष्णा सैनी ने बताया कि “यह सैकंड ईयर या फस्ट ईयर में मिल जाती है अभी थर्ड ईयर हो चुकी है, बस रिजल्ट आ जाएगा दस पंद्रह दिन में, ऐसा फील हो रहा हैं जैसे रिजेक्ट कर देते हैं न घर में जैसे कोई गाड़ी खराब हो गई हो उससे स्टोर में पटक देते हैं लगता ही नहीं है हमें मिलेगी हम तो मतलब ये मान चुके थे कि नहीं मिलेगी अब स्कूटी पर कुछ लड़कियों ने ऐसा सोचा कि चल के काॅलेज में ट्राई करते हैं बहुत बार ट्राई किया। बहुत बार कहते हैं कि मिलेगी-मिलेगी लेकिन कुछ नहीं मिला।”
इसके साथ ही कहा कि “बहुत दुख महसूस हो रहा है कि हम से पिछले साल जो पास किए थे उनको मिल गई और हमको नहीं मिल रही हम चक्कर लगा-लगा के थक गए, पिछले साल जो पास की थी उनको मिल गई और हमको नहीं मिली,और घर वाले सब ऐसे बोलते हैं कि आपको नहीं मिली पता नही आपकी परसेंटेज कम थी, क्या परर्फोमेंस वाइज कमी रह गई”
“मेरा उसमें नाम आ गया था फाइनल लिस्ट में और मैसेज भी आ चुका था तुम्हारा हो चुका है और बैलेंस वगैरह सबका मैसेज आ गया डाॅक्यूमेंट भी में इस टाइम दिखा सकती हूं। फस्ट ईयर या सैकेंड ईयर या लास्ट में मिल जाती है हर बार, हमारा काॅलेज हो चुका है अब रिजल्ट आना बाकी हैं उसके बाद काॅलेज भी खत्म हो जाएगा, अब हालत देखकर तो ये लग रहा है कि ये किसी काम की नहीं हैं।”
गोदाम में स्कूटी की देखभाल करने वाले शाजिद ने कहा कि “सर यह बच्चों के लिए आई थी बंटने के लिए बच्चों ने मेहनत करके परीक्षा देके पास किया था, फर्स्ट डीजन आई थी उन बच्चों के लिए आई थी दो साल हो गए इन स्कूटियों को खड़े हुए इनका इंश्योरेंस भी हो चुका है, फर्स्ट इंश्योरेंस खत्म हो गया है इंश्योरेंस चार साल का और बचा है गाड़ियों की केयर करते-करते हमारी हालत खराब हो गई है”
दौसा के जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार ने बताया कि “देखिए इसी सबंध में जैसा बताया है कि जब ज्ञापन हमें प्राप्त हुए थे तो हमने वास्तविक स्थिति से अवगत कराते हुए हमने प्रशासनिक विभाग को एक पत्र प्रेषित कर दिया था जैसे ही दिशानिर्देश हमें प्राप्त होंगे हम आगे की कार्यवाही करेंगे”