Saharanpur: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ब्रिटिशकालीन कुएं रखरखाव के अभाव में बेकार होते जा रहे थे। लेकिन अब इन्हें दोबारा से पुनर्जीवित किया जा रहा है और इस महत्वाकांक्षी पहल का नाम रखा गया है ‘मिशन भागीरथ’
सहारनपुर में शिवालिक वन प्रभाग की तरफ से शुरू किए गए इस मिशन का मकसद जंगली जानवरों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। गुरुत्वाकर्षण प्रवाह के प्राकृतिक सिद्धांत का उपयोग करते हुए इन कुओं को सहारनपुर के जंगलों में स्थित जल निकायों से जोड़ा गया है।
कुओं के पुनरुद्धार का जंगलों में रहने वाले आदिवासी समुदायों ने भी स्वागत किया है। उनका कहना है कि पहले जहां गर्मी के महीनों में जलस्रोत सूख जाते थे, वहीं अब वे लबालब भर जाते हैं, जिससे न केवल जंगली जानवरों को बल्कि पशुओं और स्थानीय लोगों को भी पानी मिल रहा है।
वन अधिकारियों का कहना है कि पुराने कुओं को पुनर्जीवित करने से भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद मिली है, जिससे प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों जल निकायों को भरा रखने में मदद मिलती है।
यह कम रखरखाव वाली, पर्यावरण अनुकूल प्रणाली मैन्युअल रख-रखाव की जरूरत को भी कम करती है और सभी के लिए साल भर जल का एक स्थिर स्रोत उपलब्ध कराती है।
क्षेत्रीय वन अधिकारी लव सिंह ने बताया कि “जो मिशन भगीरथ है ये हमारा प्रयास था जो हमारे ब्रिटिश के टाइम के पुराने कुएं थे उनसे जल को निकालर एक वाटर बॉडी में कलेक्ट करें ताकि जो कुएं के जल हैं क्योंकि जो एनिमल के लिए पहुंच तक नहीं होता है, लेकिन जब हम उस जल को कनेक्ट करके वहां से ग्रेविटी ग्रेडिएंट के कांसेप्ट को इस्तेमाल करके एक पक्के टैंक में लाते हैं।”