Robert Vadra: हरियाणा में भूमि सौदे से जुड़ा धन शोधन मामला, ईडी की रॉबर्ट वाड्रा से लगातार दूसरे दिन पूछताछ

Robert Vadra: कारोबारी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से 2008 के हरियाणा भूमि सौदे से जुड़े धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने लगातार दूसरे दिन भी पूछताछ की। रॉबर्ट वाड्रा करीब 11 बजे ईडी कार्यालय पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी प्रियंका गांधी वाड्रा भी थीं, जो केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद हैं, रॉबर्ट वाड्रा के ईडी कार्यालय के अंदर जाने से पहले दोनों गले मिले।

प्रियंका गांधी इस दौरान एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित एजेंसी के कार्यालय ‘प्रवर्तन भवन’ के गेस्ट रूम में रहीं। दोपहर करीब एक बजकर 10 मिनट पर रॉबर्ट वाड्रा को लंच पर घर जाने की इजाजत मिलने पर उनके साथ प्रियंका गांधी घर चली गईं। सांसद को ‘जेड प्लस’ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) सुरक्षा मिली है और इस दौरान सुरक्षाकर्मी बाहर इंतजार कर रहे थे, भोजन अवकाश के बाद भी पूछताछ जारी रहने की उम्मीद है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रॉबर्ट वाड्रा से करीब पांच घंटे तक पूछताछ की गई और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत केंद्रीय जांच एजेंसी ने उनके बयान दर्ज किए। रॉबर्ट वाड्रा ने ईडी की कार्रवाई को ‘‘बदले की राजनीति’’ करार दिया था, रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि उन्होंने हमेशा ही जांच एजेंसियों के साथ सहयोग किया है और मांगे जाने पर दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए हैं।

उन्होंने मामले को बंद करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि मामला 20 साल पुराना है, रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ये जांच हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर (अब गुरुग्राम में सेक्टर 83) में एक भूमि सौदे से जुड़ी है। जांच फरवरी 2008 में हुए एक भूमि सौदे से संबंधित है, जिसमें वाड्रा से जुड़ी एक कंपनी, ‘स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड’ ने गुरुग्राम के शिकोहपुर में ‘ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज’ नामक कंपनी से 7.5 करोड़ रुपये की कीमत पर 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी।

रॉबर्ट वाड्रा इस कंपनी में पहले निदेशक थे। उस समय हरियाणा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी। चार साल बाद सितंबर 2012 में कंपनी ने इस 3.53 एकड़ जमीन को रियल्टी कंपनी ‘डीएलएफ’ को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया। ये भूमि सौदा अक्टूबर 2012 में उस समय विवादों में आ गया था, जब आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने इस सौदे को राज्य चकबंदी अधिनियम और कुछ संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताते हुए दाखिल खारिज को रद्द कर दिया था।

खेमका उस समय हरियाणा के भूमि चकबंदी और भूमि अभिलेख महानिदेशक-सह-पंजीयन महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे। हरियाणा में उस वक्त विपक्ष में रही बीजेपी ने तब इस मामले को भूमि सौदों में ‘‘भ्रष्टाचार’’ और ‘‘भाई-भतीजावाद’’ का उदाहरण बताया था, जो रॉबर्ट वाड्रा के गांधी परिवार से रिश्तों की ओर इशारा करता है। हरियाणा पुलिस ने 2018 में इस सौदे की जांच के लिए एक एफआईआर दर्ज की थी, ईडी ने धन शोधन के दो अलग अलग मामलों में वाड्रा से कई बार पूछताछ की है।

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