New Delhi: दिल्ली की वायु गुणवत्ता लगातार पांचवें दिन खराब कैटेगरी में रही और फिलहाल इसमें किसी सुधार की संभावना नहीं है। शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह नौ बजे 256 रहा, कई इलाकों में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में भी दर्ज किया गया।
पिछले 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 256 रहा, जबकि बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 रहा। दिल्ली के लिए केंद्र के वायु गुणवत्ता चेतावनी सिस्टम के अनुसार शनिवार को शहर की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंचने की संभावना है।
बता दें कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है।
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के किए गए साल 2019 के एक अध्ययन से पता चला है कि ट्रैफिक सिग्नल पर इंजन चालू रखने से प्रदूषण का स्तर नौ प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है। दिल्ली में पिछले कुछ सालों में उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन पर कराये गये अध्ययनों से पता चला कि वाहनों से जो धुंआ निकलता है, उसमें पीएम 2.5 का स्तर नौ प्रतिशत से 38 प्रतिशत तक होता है।
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दिल्ली की वायु गुणवत्ता मई के बाद पहली बार रविवार को ‘बहुत खराब’ हो गई थी, जिसका मुख्य कारण तापमान और हवा की गति में कमी थी, जिससे प्रदूषण जमा हो गया। प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का मिश्रण, हर साल दिवाली के आसपास दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देता है।
दिल्ली पदूषण नियंत्रण समिति के विश्लेषण के अनुसार एक नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा पहुंच जाता है। इस दौरान पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में मौजूदा 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट के अलावा आठ और प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान की है। प्रदूषण स्रोतों की जांच के लिए वहां विशेष टीमें तैनात की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने शहर में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए विशेष तरह के पाउडर का उपयोग करने का भी निर्णय लिया है। धूल दबाने वाले पाउडर में कैल्शियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, लिग्नोसल्फोनेट्स और अलग-अलग पॉलिमर जैसे रासायनिक एजेंट शामिल हो सकते हैं। ये रसायन महीन धूल कणों को खींचते हैं और एक साथ बांधने का काम करते हैं, जिससे वो भारी होकर हवा में फैल नहीं पाते हैं।