Jaipur: राजस्थान के जयपुर में मनियारों का रास्ता इलाके में एक मुस्लिम परिवार पीढ़ियों से लाख की मदद से गुलाल गोटे तैयार कर रहा है, लाख कीड़ों से निकलने वाला एक पदार्थ है, इसकी मदद से कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। होली से पहले लाख की मदद से ही गोटे तैयार किए जाते हैं, होली के त्योहार पर इनका इस्तेमाल किया जाता है, लाख के गोटों में हर्बल कलर्स भरा जाता है।
होली खेलने के दौरान लोगों पर गुलाल गोटे फेंके जाते हैं, किसी से टकराते ही ये फूट जाते हैं और गुलाल-अबीर बिखर जाते हैं, सबसे अच्छी बात यह होती है कि इन गोटों से किसी को चोट नहीं लगती है, कई पीढ़ियों से आवाज मोहम्मद के परिवार में यह काम हो रहा है, वह इसे हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के तौर पर देखते हैं।
लाख के बल्बों का इस्तेमाल पहले केवल राजस्थान के शाही परिवार होली खेलने के दौरान करते थे लेकिन अब तो आम लोग भी इसे खरीदते हैं। इसकी कीमत 20 से 25 रुपये के आस-पास रहती है। गुलाल गोटे बनाने वाले 76 साल के आवाज मोहम्मद बताते हैं कि जब उन्होंने ये काम करना शुरू किया था, तब एक किलो लाख की कीमत केवल एक रुपया हुआ करती थी।
मौजूदा वक्त में लाख की कीमत तकरीबन 1500 रुपये किलो हो गई है, लाख के काम को करने वाले अब भारत में कम ही बचे हैं लेकिन आवाज मोहम्मद का परिवार इस कला को जिंदा रखने के लिए गुलाल गोटे बनाने का दावा करता है। कारीगरों का कहना है कि “हम सात पीढ़ी से हम यहां पर जयपुर के अंदर रहे हैं। मेरे बच्चे आठवीं पीढ़ी है। मेरा नवासा नौवीं पीढ़ी है। हमारा जो लाख का काम है ट्रेडिशनल काम है और हमारी राजस्थान की शान है। और ये स्पेशल जो हर साल होली के समय में जो होली के गुलाल होते हैं हम सब तरह भगवान श्री कृष्ण के वहां पर वृन्दावन में बनाकर दो महीने पहले से ही तैयारी करते हैं और उनको भेजते हैं, हमें बड़ा फर्क महसूस होता है कि हम मुसलमान होकर लाख के गुलाल गोटे बनाते हैं। होली के त्योहारों में और हिंदू भाई हमारे लाख की कला को और होली खेलते हैं और उस होली खेलने से जो हिंदुस्तान की जो परंपरा है भाईचारा है हिंदु-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। ये हमारा लाख का गुलाल गोटा।”
इसके साथ ही कहा कि “यह काम पुश्तैनी काम है हमने पैरेंट्स से सीखा है, अपने बड़े भाई बहन से सीखा है और आज भी कुछ न कुछ नया सीखते आ रहे हैं। इस त्योहार के लिए हम पूरा साल भर इंतजार करते हैं क्योंकि बड़ी तदात में इसमें ऑर्डर आते हैं। सबसे पहले मथुरा वृंदावन का ऑर्डर आता है। श्री कृष्ण जी के लिए जाता है मथुरा तो कम से कम पांच से सात हजार गुलाल गोटे का ऑर्डर आता है और दो महीने पहले ही हम लोग इस काम को शुरू कर देते हैं। जोधपुर, गुजरात में जाता है और ये वृन्दावन जाता है। वृन्दावन के मंदिर में तो बहुत सारे जाता है हमारा गुलाल गोटे।”