Gujarat: गुजरात के पहाड़ी इलाके में धरमपुर में एक ऐसा गांव है जिसने अभाव को अपनी ताकत में बदल दिया। एक ऐसी जगह जहां कुछ वक्त पहले तक महिलाओं को एक घड़ा पानी लाने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता था लेकिन आज यहां के हर घर को साफ पानी मिलता है। ये कहानी है पंगरबारी की। एक ऐसे गांव की जिसने न सिर्फ अपने जल संकट को हल किया, बल्कि अपनी महिलाओं को इस मुहिम का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया। पंगरबारी की जल क्रांति का प्रबंधन पूरी तरह से महिलाएं करती है। महिलाओं की अगुवाई वाली पानी समिति, योजना बनाने से लेकर रखरखाव तक, जल संरक्षण प्रयास के हर चरण की देखरेख करती है।
गांव की 11 महिलाएं हर दिन 2.05 लाख लीटर पानी के प्रबंधन की जिम्मेदारी उठाती हैं। वे ये सुनिश्चित करती हैं कि 315 घरेलू नल कनेक्शनों में से सभी को नियमित सप्लाई मिलती रहे। भूमिगत टैंकों और बारिश के पानी को इकट्ठा करने वाले सिस्टम के साथ, पंगरबारी अब पानी के टैंकरों पर निर्भर नहीं है। एस्टोल योजना की मदद से छह बड़े टैंक बनाए गए हैं। इन टैंक की क्षमता 35,000, 40,000, 30,000 और 40,000 लीटर है।
आतिरिक्त पानी बचाना भी सुनिश्चित किया जाता है ताकि इसका इस्तेमाल उन महीनों के दौरान किया जा सके जब बारिश नहीं होती है। भीषण गर्मी के दौरान भी गांव वाले अपने खुद के पानी के टैंक पर निर्भर रहते हैं। लीक को ठीक करने से लेकर बर्बादी को रोकने और मासिक बैठकों में विवादों को सुलझाने तक हर काम महिलाओं की अगुवाई वाली पानी समिति करती है। समिति सुनिश्चित करती है कि पानी की हर बूंद का प्रबंधन सावधानी और जवाबदेही के साथ किया जाए।
मधुबन बांध से मिले पानी इस पूरी प्रणाली को ताकत देता है। ये गांव की पानी से जुड़ी जरूरतों के लिए स्थायी समाधान देता है। गुजरात सरकार के तहत जल एवं स्वच्छता प्रबंधन संगठन द्वारा समर्थित, पंगरबारी का समुदाय-प्रबंधित मॉडल कामयाब कहानी बन गया है। 2024-25 सीएम महिला जल समिति प्रोत्साहन योजना के तहत, 100 फीसदी महिलाओं की अगुवाई वाली समिति को 50,000 रुपये का प्रोत्साहन और 18 दिनों का प्रशिक्षण मिला। ये उनके नेतृत्व को मान्यता है।
पंगरबारी गांव में रहने वाली भाना बेन बताती हैं कि कैसे गांव की बदली तस्वीर से उन्हें साफ पानी मिलने लगा और उन्हें गंदा पानी लाने के थकाऊ काम से भी निजात मिल गई। बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष से शुरू हुआ ये अभियान आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण के सफर में बदल गया है। पंगरबारी सिर्फ ऐसा गांव नहीं है जहां घर-घर में साफ पानी उपलब्ध है बल्कि ये एक ऐसा मॉडल भी है जो बताता है कि जब लोग साथ जुड़ते हैं तो क्या कुछ किया जा सकता है।