जोशीमठ को बचाने के लिए विशेष योजना पर किया जा रहा काम, 10 अधिकारी भी तैनात

उत्तराखंड के जोशीमठ में हर बीतते दिन के साथ संकट गहराता जा रहा है। शहर के एक बड़े हिस्से में स्थित कई घरों में अब दरारें बड़ी होती दिख रही हैं। राज्य सरकार ने एहतियातन कई परिवारों को शिफ्ट कर दिया है। मौजूदा स्थिति को लेकर राज्य सरकार ने एक बयान भी जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि हम हर स्थिति से निपटने को तैयार हैं।

उघर, जोशीमठ में जमीन में आयी दरार को लेकर बैठकों का दौर जारी है। जोशीमठ में आपदा राहत कार्यों को त्वरित गति देने और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए मंडलायुक्त सुशील कुमार ने 10 अधिकारियों की जोशीमठ में तैनात किए हैं। इनमें एक एडीएम, तीन एसडीएम और छह तहसीलदारों को जोशीमठ में कैंप करने के निर्देश हैं।

इसके अलावा अपर जिलाधिकारी हरिद्वार बीर सिंह बुद्धियाल, एसडीएम श्रीनगर अजयवीर सिंह, एसडीएम केदारनाथ विकास प्राधिकरण योगेंद्र सिंह, एसडीएम ऋषिकेश नंदन सिंह के अलावा छह तहसीलदारों को जोशीमठ भेजा गया है। इनमें तहसीलदार पौड़ी हरीश जोशी, तहसीलदार टिहरी आशीष घिल्डियाल, डोईवाल के शादाब, जखोली के नायाब तहसीलदार बलवीर लाल, चकबंदी अधिकारी हरिद्वार टीकम सिंह और नायब तहसीलदार सदर देहरादून सुरेंद्र सिंह शामिल हैं।

 

मामले की गंभीरता को समझते हुए बचाव दल को पहले से ही स्टैंडबाय में रखा गया है। साथ ही कहा गया है कि इस संकट को लेकर केंद्र सरकार भी विशेष योजना पर काम कर रही है।

  • अधिकारियों ने बताया कि विशेषज्ञ संकट से निपटने के लिए एक छोटी, मध्यम और लंबी अवधि की योजना तैयार कर रहे हैं।
  • वर्षों से, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जोशीमठ में और उसके आसपास बन रही बिजली परियोजनाओं सहित बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य से भूमि धंस सकती है।
  • एनडीआरएफ की एक टीम और राज्य आपदा बल की चार टीमें जोशीमठ में तैनात की गयी है। एनडीटीवी को पता चला है कि प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का कार्य भी जारी है।
  • पीएमओ की तरफ से कहा गया है कि स्पष्ट समयबद्ध पुनर्निर्माण योजना तैयार की जानी चाहिए। निरंतर भूकंपीय निगरानी की जानी चाहिए इस अवसर का उपयोग करते हुए जोशीमठ के लिए एक जोखिम संवेदनशील शहरी विकास योजना भी विकसित की जानी चाहिए।
  • सचिव सीमा प्रबंधन और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण या एनडीएमए के सदस्य कल राज्य का दौरा करेंगे और स्थिति की समीक्षा करेंगे।
  • नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, हैदराबाद और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून को सेटेलाइट इमेजरी के जरिए जोशीमठ का अध्ययन करने और तस्वीरों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया गया है।
  • पूरे मामले को लेकर जहां स्थानीय लोग जलवायु परिवर्तन और निरंतर बुनियादी ढांचे के विकास को दोष दे रहे हैं। वहीं विशेषज्ञों का तर्क है कि विभिन्न प्रकार के कारक – मानव गतिविधि और प्राकृति दोनों ही इसके लिए जिम्मेदार हैं।
  • राज्य के चमोली जिले में जोशीमठ और उसके आसपास सभी निर्माण गतिविधियां, जिनमें चारधाम ऑल वेदर रोड (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना जैसी मेगा परियोजनाएं शामिल हैं, को निवासियों की मांग पर रोक दिया गया है।
  • जोशीमठ देश के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक के अंतर्गत आता है – आधिकारिक तौर पर जोन-वी (बहुत गंभीर तीव्रता क्षेत्र) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

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