मक्कूमठ में तृतीय केदार बाबा तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू

लक्ष्मण सिंह नेगी 

ऊखीमठ। तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा विधि-विधान व वेद ऋचाओं के साथ शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विधिवत शुरू हो गयी है। अब शीतकाल में श्रद्धालु भगवान तुंगनाथ की पूजा-अर्चना मक्कूमठ में करेंगे। बता दें कि बीते सोमवार को विधि-विधान एवं पौराणिक रीति-रीवाजों के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। जिसके बाद बाबा तुंगनाथ अपनी शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान हुए।  इस दौरान विभिन्न पड़ाव स्थलों पर श्रद्धालुओं ने फूल-मालाओं से डोली का स्वागत किया। तुंगनाथ मंदिर के पुजारी भी सर्दियों में मक्कुमठ चले गए हैं।

2100 मीटर की ऊंचाई पर बसा है मक्कूमठ

चंद्रशिला पर स्थित तुंगनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बाद बाबा तुंगनाथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजते हैं। सर्दियों के दौरानचंद्रशिला-तुंगनाथ क्षेत्र बर्फ से ढका होता हैजिससे तीर्थयात्रियों का वहां पहुंचना मुश्किल हो जाता है। हालांकि ट्रेकर्स वहां स्नो ट्रेकिंग करते हुए पहुंचते हैं। बता दें कि मक्कुमठ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 2100 मीटर की ऊंचाई पर बसा एक सुरम्य गांव है। मक्कुमठ दुर्लभ हिमालयी पक्षी प्रजातियों का घर है और शहरी जीवन की भाग-दौड़ से राहत पाने वालों के लिए बेहतरीन जगह है।

भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने की पहल

आपको बता दें कि बाबा तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में दर्शन करने के साथ आप यहां ट्रेकिंग का भी आनंद ले सकते हैं। सफेद-सफेद बर्फीले रास्ते और बर्फ की चादर ओढ़े हुए पहाड़ों के शानदार दृश्य रोमांच से भरे होते हैं। सर्दी के दौरान ट्रैकिंग करते हुए बीच में कई खूबसूरत वादियांपेड़-पौधेताजी हवा और छोटे-छोटे गांव जैसे हुडु गांवउषादा गांवमस्तूरा गांवसाड़ी गांव और ताला गांव की खूबसूरती और यहां खानपान से भू रुबरू हो सकते हैं। यही वजह है कि मन्दिर समिति द्वारा तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रचार – प्रसार शुरू कर दिया है।

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