हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण का मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी रेलवे अतिक्रमण का मामला 39 में नंबर पर है 1:30 बजे सुनाई होने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने एडवोकेट प्रशांत भूषण ने मामला उठाया है। वहीं इस दौरान उत्तराखंड कांग्रेस के शीर्ष नेता सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहेंगे। बुधवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुवन कापड़ी, हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश, उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप, विजय सारस्वत दिल्ली पहुंचे।
इस बीच इस मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि सभी को न्यायालय पर विश्वास रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, “न्यायालय का जो भी फैसला आएगा। सरकार उसी हिसाब से काम करेगी। यह न्यायालय और रेलवे के बीच की बात है, राज्य सरकार इसमें कोई पार्टी नहीं है। उच्चतम न्यायालय का जो भी निर्णय आएगा, राज्य सरकार उस पर काम करेगी।”
बता दें कि उत्तराखंड की नैनीताल हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे को गिराने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद करीब 4 हजार से अधिक कच्चे-पक्के मकानों को तोड़ा जाएगा। स्थानीय लोगों के मुताबिक, कोर्ट के आदेश के बाद कड़ाके की ठंड के बीच 50 हजार से ज्यादा लोगों के सिर से छत छिनने का खतरा मंडराने लगा है।
इधर, नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बुधवार को कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी मांग है कि सुप्रीम काेर्ट हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाए और हजारों लोगों को बेघर होने से बचाए। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मामले पर सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद केस की पैरवी करेंगे।
दरअसल, हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की 29 एकड़ जमीन है। इस जमीन पर कई साल पहले कुछ लोगों ने कच्चे घर बना लिए थे। धीरे-धीरे यहां पक्के मकान बन गए और धीरे-धीरे बस्तियां बसती चली गईं। नैनीताल हाईकोर्ट ने इन बस्तियों में बसे लोगों को हटाने का आदेश दिया था।
रेलवे ने समाचार पत्रों के जरिए नोटिस जारी कर अतिक्रमणकारियों को 1 हफ्ते के अंदर यानी 9 जनवरी तक कब्जा हटाने को कहा। रेलवे और जिला प्रशासन ने ऐसा न करने पर मकानों को तोड़ने की चेतावनी दी है। लोग अब अपने घरों को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
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