देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा है. सुबह 11 बजे से सदन की कार्यवाही शुरू हो गयी है. आज दूसरे दिन कार्यवाही के दौरान सरकार सदन में अनुपूरक बजट पास करवाएगी. सत्र के पहले दिन सरकार ने ₹5440 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश किया था. इसके साथ ही आज धर्मांतरण और राजकीय सेवाओं में महिलाओं को 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण संबंधी विधेयक को भी आज ही पास करवाया जाएगा. वहीं, सदन के पटल पर रखे गए अन्य संशोधन विधेयक भी आज ही पास करवाए जाएंगे.
वन मंत्री उत्तराखंड वन विकास निगम के 2014-15, 2015-16 , 2016-17, 2017-18, 2018-19 तक के आर्थिक चिट्ठों का प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखेंगे
मुख्यमंत्री उत्तराखंड जल संस्थान के वित्तीय वर्ष 2016-17 , 2017-18, 2018-19 के वार्षिक लेकर प्रतिवेदन को सदन के पटल पर रखेंगे
मत्स्य पालन मंत्री उत्तराखंड मध्य अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2022 को पुर:स्थापित करेंगे
शहरी विकास मंत्री उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर पालिका परिषद अधिनियम 1916 (संशोधन) विधेयक 2022 को पुर:स्थापित करेंगे
शहरी विकास मंत्री उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 (संशोधन) विधेयक 2022 ) को पुर:स्थापित करेंगे
वित्त मंत्री , उत्तराखंड पेंशन हेतु सरकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण विधेयक 2022 को पुर:स्थापित करेंगे
उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश भू राजस्व अधिनियम 1901 (संशोधन) विधेयक 2022 पुर:स्थापित किया जाएगा
सहकारिता मंत्री उत्तराखंड सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक 2022 को पुर:स्थापित करेंगे.
महिला आरक्षण बिल
उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई 2001 को तत्कालीन नित्यानंद स्वामी सरकार ने 20 फीसदी आरक्षण की सुविधा दी थी। इसके बाद कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार ने इसे 30 फीसदी कर दिया था। तभी से सिर्फ एक जीओ के आधार पर यह लाभ दिया जा रहा था। हालांकि, यह लाभ देने के लिए विधानसभा के पटल पर इसे विधेयक के रूप में लाना जरूरी था, जिसे अब सरकार ने पूरा किया है।
बिल पर क्यों था बवाल
उत्तराखंड सम्मिलत राज्य सिविल एवं प्रवर अधीनस्थ सेवा प्री परीक्षा नतीजों के बाद हरियाणा की पवित्रा चौहान समेत दूसरे राज्य की महिला अभ्यर्थियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने स्थानीय महिलाओं को मिल रहे आरक्षण पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ धामी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड की स्थानीय महिलाओं को मिल रहे आरक्षण को बरकरार रखा।