सीमा विवाद में भारत नेपाल के बीच तीसरे दौर की वार्ता भी विफल

उधमसिंह नगर जिले के खटीमा में भारत-नेपाल सीमा स्थित भारतीय सरहद पर रोपे गए पौधों की सुरक्षा के लिए तारबाड़ को तोड़ने पर हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को दोनों देशों के अधिकारियों का सीमा पर संयुक्त रूप से सर्वे किया।  इस दौरान खटीमा एसडीएम के नेतृत्व में एसएसबी, वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी मौजूद रहे। इस मौके भारतीय अधिकारियों ने तारबाड़ को तोड़े जाने के सुबूत पेश किए, जबकि नेपाली अधिकारी सुबूत पेश नहीं कर पाए।

मंगलवार को दोनों देशों के अधिकारियों का सीमा पर संयुक्त रूप से सर्वे होना था। इसके लिए एसडीएम रविंद्र, रेंजर राजेंद्र मनराल के साथ विवादित स्थल पर पहुंचे। वहां पहले से ही एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट अनिल कुमार मौजूद थे। कमांडेंट कुमार ने एसडीएम को बताया कि सर्वे के अनुसार जहां से पोल उखाड़े गए हैं, वह जगह नो-मैंस लैंड से लगभग 10 से 15 मीटर दूर भारतीय क्षेत्र में है।

क्या है मामला

खटीमा भारत-नेपाल सीमा पर पिलर संख्या 14 के पास तराई पूर्वी वन प्रभाग द्वारा कैंपा योजना के अंतर्गत 25 हेक्टेयर में वृक्षारोपण किया जाना प्रस्तावित है, जिसकी सुरक्षा के लिए सीमा पिलर तथा तार बाड़ लगाए जाना है। जिसके एक हिस्से में वन विभाग द्वारा तार बढ़ कर दिया गया है लेकिन 3 जून को कुछ नेपाली नागरिकों द्वारा खंभे और तार बाल उखाड़ कर फेंक दिया गया और नेपाली नागरिकों द्वारा विरोध भी किया गया। इससे पूर्व पिलर संख्या 798/2 के पास किए गए तारबाड़ को नेपाली नागरिकों ने उखाड़कर विरोध शुरू कर दिया था।

दो दौर की वार्ता रही विफल

नेपाल और भारत के अधिकारियों द्वारा इस विवाद को निपटाने के लिए पहले दो दौर की वार्ता और निरीक्षण हो चुका है। लेकिन वार्ता में कोई हल नहीं निकला था। जिसके बाद आज बुधवार को भी खटीमा एसडीएम, तहसीलदार, वन विभाग पुलिस प्रशासन तथा एसएसबी के अधिकारियों और नेपाल एपीएफ और नेपाल प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से घटना क्षेत्र का निरीक्षण किया गया, जहां भारत की ओर से अपना पक्ष रखा गया लेकिन नेपाल प्रशासन द्वारा कोई भी उचित अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। वहीं एक बार फिर अभिलेख प्रस्तुत करने के लिए नेपाल प्रशासन द्वारा समय मांगा गया है। जिसके बाद इस विवाद के निपटारा के लिए संयुक्त रुप से बातचीत के लिए 10 जून को भी तिथि निर्धारित की गई है।

उधर, खटीमा वन विभाग का कहना है कि हम नो मैंस लैंड की जगह के बाद 15 फीट जगह छोड़कर वृक्षारोपण के लिए तार बाड़ का कार्य कर रहे हैं, फिर भी नेपाली नागरिकों द्वारा विरोध किया जा रहा है। साथ ही निरीक्षण के दौरान मौके पर वन विभाग को नो मैंस लैंड से 15 फीट अतिरिक्त जगह छोड़कर शेष बचे कार्यों को करने के लिए निर्देशित किया गया है। मामले में खटीमा वन रेंज अधिकारी राजेंद्र सिंह मनराल का कहना है कि नेपाल प्रशासन द्वारा बार-बार समय मांग कर टालमटोल किया जा रहा है।

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