नमिता बिष्ट
सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है और इस समय हमें अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सर्दियों में अगर आप पहाड़ी दालों का सेवन करेंगे तो एकदम फिट रहेंगे। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पहाड़ी दालें औषधीय गुणों से भरपूर हैं। यही कारण है कि बदलते मौसम के हिसाब से इन दालों की डिमांड भी काफी बढ़ गई है। ऐसे में काश्तकारों के साथ ही स्वयं सहायता समूहों को भी इसका लाभ मिल रहा है।
खूब पसंद की जा रही ये दालें
दरअसल देवभूमि उत्तराखंड अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, गौरवशाली परंपराओं और लोक कलाओं के कारण ना सिर्फ देश में बल्कि दुनिया भर में अपनी अलग पहचान तो रखता ही है साथ ही यहां का खान-पान भी पौष्टिकता से परिपूर्ण है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर उत्तराखंड के पहाड़ी दालों को विशेष स्थान मिला हुआ है। सर्दियों में गहथ, तोर, उड़द, काले भट, रयांस, छीमी, लोबिया के अलावा चकराता, जोशीमठ, हर्षिल और मुनस्यारी की राजमा खूब पसंद की जा रही है।
पहाड़ी दालों में औषधीय गुणों का भंडार
खास बात यह कि पहाड़ी दालें जैविक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहद लाभदायी हैं। पहाड़ी दालों में औषधीय गुणों का भंडार है। यह जितना स्वादिष्ट होती है उतना ही शरीर के लिए बेहद लाभदायक होते हैं। क्योंकि ये दालें गर्म होती हैं, जिससे शरीर एकदम फिट रहता है। यही नहीं यह इम्युनिटी भी बढ़ाता है।
पथरी के लिए रामबाण है गहथ
वहीं गहथ की बात करें तो इसे पहाड़ में गौथ के नाम से जाना जाता है। सर्दियों में गहथ की दाल लजीज मानी जाती है। प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के लिए रामबाण माना जाता है। कार्बोहाइड्रेट, वसा, रेशा, खनिज और कैल्शियम से भरपूर गहथ से गथ्वाणी, फाणु, पटौड़ी जैसे पहाड़ी व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
पहाड़ी दालों से बनाए जाते हैं कई तरह के व्यंजन
वहीं कार्बोहाइड्रेट और वसा से युक्त तोर से दाल, भरवा परांठे, खिचड़ी आदि पकवान बनाए जाते हैं। जिसे विशेष रूप से सर्दियों में लोग पसंद करते हैं। इसके अलावा काला और सफेद भट की दाल भी सेहत का खजाना है। वहीं भट की चुटकानी, डुबके, पहाड़ी उड़द के पकौड़े और चैंसू आदि पकवानों का सर्दियों के मौसम में विशेष रूप से सेवन किया जाता है।
पहाड़ी दालों की बढ़ रही डिमांड
उत्तराखंड के अलावा कई और राज्यों में भी इन पहाड़ी दालों की काफी डिमांड बढ़ रही है। जिसका फायदा किसानों को तो मिल ही रहा है साथ ही इन दालों का बाजार में विक्रय कर रही स्वयंसेवी सहायता से जुड़ी महिलाएं भी आर्थिक रूप से सशक्त हो रहीं हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों को भी बढ़ावा मिल रहा है।