पहाड़ का राजा फल काफल, कैंसर, स्‍ट्रोक समेत कई बीमारियों में है फायदेमंद

“काफल पाको मैं नि चाखो”, अगर आपने अभी तक काफल नहीं चखा है तो जरूर चखिए। क्योंकि पहाड़ के फलों का राजा काफल के सेवन से स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व होने के कारण इसे खाने से पेट संबंधित रोगों से भी निजात मिलती है। हर साल गर्मी के मौसम में उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों के लोग इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।

इन दिनों देहरादून के बाजारों में काफल की बहार आई हुई है। लेकिन रसीले, खट्टे और मीठे से भरपूर काफल का स्वाद इस बार जंगलों में लगी आग ने कम कर दिया। इस बार काफल दून के बाजारों में थोड़ी देरी से बिक्री के लिए पहुंचा है। हालांकि अब भी काफल की बाजार में काफी डिमांड है। जिसके चलते बीते वर्ष अमूमन 120 से 160 रुपये तक बिकने वाला काफल इस सीजन में 200 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है। 

काफल बाजार में विशेष पहुंच रखता है। जिससे स्थानीय ग्रामीणों जंगलों की आग आर्थिकी भी जुड़ी हुई है। काफल तीन महीने तक स्थानीय बेरोजगारों के लिए स्वरोजगार का साधन बनता है। काफल के के पेड़ को कहीं उगाया नहीं जाता, बल्कि अपने आप उगता है।  इसके पेड़ ठंडी जलवायु में पाए जाते हैं। इसका लुभावना गुठली युक्त फल गुच्छों में लगता है। प्रारंभिक अवस्था में इसका रंग हरा होता है और अप्रैल माह के आखिर में यह फल पककर तैयार हो जाता है, तब इसका रंग बेहद लाल हो जाता है। इसका मीठा और रसीला स्वांद भी खाने में लाजवाब होता है।

काफल का वैज्ञानिक नाम है ‘माइरिका एसकुलेंटा’

काफल का वैज्ञानिक नाम ‘माइरिका एसकुलेंटा’ है। पेट संबंधी बिमारियों में इसके पेड़ की छाल का चूर्ण काफी लाभकारी होता है। खट्टे-मीठे स्वाद वाला काफल के सेवन से लोगों को भीषण गर्मी से होने वाली कई बिमारियों से राहत मिलती है।

काफल के लाभ

काफल पौष्टिकता से भरपूर होते हैं। इसमें कैल्शियम, आयरन, फाइवर, प्रोटीन आदि प्रचुर मात्रा में मिलता है। इस फल में पेट से जुड़ी तमाम तरह की बीमारियों को खत्म करने की क्षमता है। यह कैंसर की रोकथाम में सहायक है। इसे एनीमिया, अस्थमा, जुकाम, बुखार, मूत्राशय रोग जैसी बीमारियों की रोकथाम में भी इस्तेमाल किया जाता है।

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