Tehri Garhwal: पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज देवप्रयाग के मुच्छयाली गांव से सीता कोटी मंदिर परिसर से 3 दिवसीय सीतामाता परिपथ पदयात्रा का शुभारंभ किया. 23 नवंबर को मुच्छयाली गांव से देवलगढ़ लक्ष्मण जी के मंदिर में रात्रि विश्राम का कार्यक्रम है.
इसके बाद आगामी 24 नवंबर को इगास के दिन देवल के कोटसा गांव वाल्मीकि के मंदिर से माता सीता के समाधि स्थान फलस्वाड़ी गांव में पदयात्रा का आखिरी पड़ाव रहेगा, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया की मेरी पदयात्रा लोकसभा चुनाव को लेकर नहीं है. मुझे घूमने का शौक रहा है. गढ़वाल मंडल में भव्य तीर्थ स्थल हैं, जिनको प्रसिद्ध नहीं मिली. प्राचीन तीर्थ स्थल की पदयात्रा राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. सीतामाता परिपथ (सर्किट) समिति कोट द्वारा ये यात्रा प्रथम बार आरंभ की जा रही है.
देवप्रयाग से विदाकोटी मुच्छयाली लक्ष्मण मंदिर देवल फिर कोटसाड़ा वाल्मीकि मंदिर होते हुए सीता माता भू समाधि स्थल फलस्वाड़ी की यात्रा का उद्देश्य इन सभी पवित्र स्थलों को जोड़ना है, जिससे नई पीढ़ी को इनके महात्म्य के बारे में बताया जा सके. अयोध्या में प्रभु राम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा उद्घाटन होने जा रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत भूमि के सभी स्थल जो श्रीराम और मां सीता से जुड़े हैं वे हमारे लिए पवित्र हैं. उनका भी समुचित विकास हो, जिससे नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ा जा सके. इस यात्रा से विश्वास है कि देश दुनिया के सनातनी और हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु इन पवित्र स्थलों की यात्रा करेंगे. श्रीराम मंदिर एवं अन्य धामों के समान फलस्वाड़ी सीता माता परिक्षेत्र भी भव्य दिव्य रूप में विकसित होगा.