Rudranath Temple : पंच केदार में से एक चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की डोली आज पूरे विधि-विधान और पूजा-अर्चना के बाद शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर से कैलाश के लिए रवाना हुई। सेना के बैंड और फूलों की वर्षा के साथ डोली रवाना की गई, इसके साथ ही अब छह माह रुद्रनाथ में पूजा-अर्चना होगी, इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
सेना की बैंड की मधुर ध्वनि और पुष्प बर्षा के बीच डोली को रवाना किया गया, गोपीनाथ मंदिर से गोपेश्वर गांव होते हुए मंडल मार्ग से डोली गंगोल गांव पहुंची। जहां पर ग्रामीणों ने डोली का विधि विधान से स्वागत और पूजा- अर्चना कर आरक अर्क लगाया। इसके बाद डोली सगर गांव पहुंची, वहां पर भी ग्रामीणों द्वारा डोली की पूजा अर्चना कर अर्क लगाने के साथ मनोतियां मांगी गई।
Rudranath Temple :
सगर गांव के बाद रुद्रनाथ की उत्सव डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों और सैकड़ों की संख्या में श्रद्वालुओ के साथ दो दिनों की कठिन पैदल यात्रा के पहले दिन सांय को ल्वींठी बुग्याल पहुंचेगी। फिर अगले दिन पनार बुग्याल से आगे बर्फीले क्षेत्र से गुजर कर 18 मई को रूद्रनाथ पहुंचेगी। भगवान रूद्रनाथ मंदिर के कपाट 20 मई को पौराणिक राीति रिवाजों और परंपराओं के बीच ग्रीष्मकाल के लिए श्रद्वालुओं के दर्शनों को खोले जाएंगे।
Rudranath Temple : बता दें की चमोली जिले के गोपेश्वर गोपीनाथ मंदिर से 24 किलोमीटर की पैदल दूरी पर रुद्रनाथ मंदिर है, यहां भगवान शिव के मुख के दर्शन होते हैं। मंदिर के कपाट खोलने की प्रक्रिया जेष्ट संक्रांति से शुरू हो जाती है। जबकि कार्तिक संक्रांति पर शीतकाल के लिए कपाट बंद कर दिए जाते हैं, इसी परंपरा के तहत भगवान रुद्रनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल गोपनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद आज भगवान की उत्सव डोली को रवाना किया।